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आधुनिक भारत की सुंदर तस्वीर, वंदे भारत चलाती एशिया की पहली लोको पायलट

महिलाओं की काबलियत (Nari Shakti) सीमित क्षेत्र तक नहीं रही है। आज के समय में वे हर क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दे रही हैं। समय की मांग भी यही है की अब किसी तरह की बराबरी की बात ना की जाएं बस प्रतिभा को प्रोत्साहित किया जाएं। ऐसी ही एक प्रतिभावान महिला हैं सुरेखा यादव। जो एशिया की पहली महिला ट्रेन डाइवर हैं। इनकी चर्चा अकसर सुनने को मिलती रहती है, पर अब इनके खाते में एक और विशेष उपलब्धि जुड़ गई है।

एडवांस ट्रेन को दौड़ाती आज की नारी  

Nari Shakti

इस वर्ष भारत की पहली हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत के बारे में हम सभी ने बहुत सुना है। जब ये ट्रेन किसी रेलवे प्लेटफॉर्म पर खड़ी नज़र आती है तो लोग इसके साथ तस्वीरें लेते नज़र आते हैं। ये नज़ारा सुरेखा जी (Nari Shakti) सालों से देखती आ रही हैं। एक महिला को ट्रेन ड्रायवर की सीट पर देखकर हर कोई उनके साथ तस्वीर लेता रहता है।

नज़ारा ऐसा की हर कोई कैमरे में कैद करना चाहे

Nari Shakti 

प्रसिद्ध वंदे भारत की ड्रायवर सीट पर जब प्रेमस लोको पायलट सवार हुई तो एक नया रिकॉर्ड बना गया। सुरेखा यादव अत्याधुनिक सेमी हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेन को चलाने वाली महिला (Nari Shakti) लोको पायलट बनीं। इस नज़ारे को जिस-जिस ने देखा वो ट्रेन के साथ सुरेखा यादव की तस्वीर भी लेने लगा। देश की उपलब्धि का ऐसा नज़ारा बहुत कम ही देखने को मिलता है। एडवांस ट्रेन पर आज के भारत की अग्रसर महिला।

34 साल के करियर में कई उपलब्धि की हासिल 

Surekha yadav

सुरेखा यादव महाराष्ट्र के सतारा की रहने वाली हैं। साल 1988 में वे एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर (Nari Shakti) बनीं। वह अब लोको पायलटों की प्रशिक्षक भी हैं। उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया धन्यवाद 

सुरेखा यादव कहती हैं की ” वंदे भारत ट्रेन को चलाने का अनुभव बहुत शानदार रहा”। जब उन्होने इस साल 2023 में मार्च माह में पहली बार वंदे भारत ट्रेन चलाई तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद दिया। इसके साथ ही रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी उन्हें बधाई दी। सुरेखा यादव उन महिलाओं की सूची में शामिल हैं जो देश को गौरवान्वित करती हैं।

परिवार के सहयोग से हासिल किया ये मुकाम 

Surekha yadav

सुरेखा यादव आज अपने क्षेत्र से जुड़े उभरती प्रतिभा को ट्रेनिंग भी देती हैं। अब तक की सफलता के श्रेय वे अपने परिवार को देती हैं। वे माता-पिता के साथ अपने सास-ससुर के सहयोग के लिए हमेशा धन्यवाद देती हैं। एक सफल महिला के जीवन के पीछे बहुत से लोगों का साथ होता है। सुरेखा मानती हैं की यदि परिवार का सहयोग ना मिलता तो वे इस मुकाम को हासिल ना कर पातीं।

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