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“शीतल” के हाथ नहीं तो पैरों से ही लिख रहीं सुनहरे पन्नों में अपना नाम

आभाव में तो कई लोग जीवन बीता देते हैं। छोटी-छोटी जरुरतों को पाने के लिए हर कोई कड़ी मेहनत करता है। पर इस मेहनत के लिए शरीर का मजबूत होना सबसे ज्यादा जरुरी है। पर दुनिया में कुछ महान टैलेंटेड ऐसे भी लोग है जो इस मुश्किल को भी पार कर जाते हैं और लिख जाते हैं नया इतिहास (Asian Para Games)। ऐसी ही एक बालिका है “शीतल देवी”। जो महज 16 साल की है और जन्म से ही इनके हाथ नहीं है। पर भारत की इस बेटी ने अपने देश का नाम रोशन कर दिखाया है, जिसकी तारिफ प्रधानमंत्री मोदी जी भी कर रहे हैं।

मुश्किलों से हारना आसान है पर चुनौतियों को पार कर जाना बहुत कठिन। पर ये निर्भर है हमारे ऊपर की हम कौन सा रास्ता चुनते हैं। शीतल ने मुश्किल रास्ता चुना। जन्म से ही हाथ ना होने की वजह से उन्हें हर मोड़ पर चैलेंज मिले। कोई उन्हें लाचर भरी निगाहों से दिखता इससे पहले ही इस बहादुर बेटी ने अपना रास्ता खुद चुना और आज पूरी दुनिया इनका कारनाम देख (Asian Para Games) रही है।

चुनौतियां झुक जाती है इनके सामने 

Asian Para Games

चीन के हांग्जो में इन दिनों एशियन पारा गेम्स 2023 (Asian Para Games) चल रहा है। जिसमें भारत की शीतल देवी ने गोल्ड मेडल जीता है। शीतल एक बेहतरीन तीरंदाज हैं। उनके दोनों हाथ नहीं हैं। पर वे पैरों से अपना हर काम करती हैं। अपने पैरों के हाथ बना चुकी शीतल ने पैर से एशियन पारा गेम्स (Asian Para Games) में तीर चलाया और सीधे स्वर्ण पदक हासिल कर लिया। उनकी इस कामयाबी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ढेरों बधाई दी है।

लगातार जीता (Asian Para Games) गोल्ड

Asian Para Games

चीन के हांगझोऊ में (Asian Para Games) महिलाओं की व्यक्तिगत कंपाउंड तीरंदाजी स्पर्धा में शीतल ने बहुत जबरदस्त प्रदर्शन दिखाया। हर चुनौती को पार करते हुए उन्होने गोल्ड मेडल जीता। शीतल जो दुनिया की पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज भी हैं, उन्होंने सिंगापुर की अलीम नूर सयाहिदा को 144-142 से हराकर शीर्ष पुरस्कार हासिल किया। एशियन पारा गेम्स 2023 में यह शीतल देवी का तीसरा पदक है। इससे पहले उन्होंने पैरा तीरंदाजी मिश्रित टीम में गोल्ड और महिला युगल कंपाउंड स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता है।

टैलेंट को मिला अच्छे कोच का साथ

Sheetal Devi

ये टैलेंटेड लड़की किश्तवाड़ (जम्मू कश्मीर) जिले के दूरदराज गांव लोई धार की रहने वाली है। जन्म से ही शीतल के दोनों हाथ नहीं है। बावजूद इसके 16 साल की इस बेटी के लिए दिव्यांगता अभिशाप नहीं बन पाई। डेढ़ साल पहले ही सेना के अधिकारी ने कटरा स्थित माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड तीरंदाजी अकादमी के कोच कुलदीप वेदवान को शीतल (Asian Para Games) के बारे में बताया। कोच ने इस उभरती प्रतिभा को पहचान लिया और नतीजा (Asian Para Games) हम सभी के सामने है।

तैयार करवाया गया स्पेशल धनुष

Sheetal Devi

शीतल जिस धनुष का इस्तेमाल करती हैं वह विशेष रुप से उन्हीं के लिए तैयार कराया गया है। जिसे हाथ से नहीं बल्कि पैर और छाती से चलाया जाता है। छह माह के अंदर शीतल ने इसमें महारत हासिल कर ली और पिल्सन (चेक गणराज्य) में खेली जा रही विश्व पैरा तीरंदाजी के फाइनल में पहुचनें वाली वह दुनिया की पहली बिना हाथों की महिला तीरंदाज (Asian Para Games) बन गईं।

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