नवरात्र (Chaitra Navratri) के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी रुप की पूजा की जाती है। ब्रह्म का अर्थ होता है “तपस्या” और चारिणी का अर्थ है “आचरण” करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। माता के इस रुप की भक्ति से मनुष्य को जप, तप, त्याग और संयम की प्राप्ति होती है।
कठिन स्थिति से लड़ने की मिलेगी क्षमता
आज चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का दूसरा दिन है। इस दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, विष्कम्भ और प्रीति योग, भरणी नक्षत्र भी है। आज के दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से व्यक्ति को अपने कार्य में सफलता प्राप्त होती हैं। कठिन स्थिति से लड़ने की क्षमता मिलती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्र के अन्य दिनों की ही तरह होती है। बस कुछ विशेष मंत्रों का जाप आज के दिन जरुर करें साथ ही ब्रह्मचारिणी माता को भोग अर्पित करें।
इन दो मंत्रों का जरुर करें जाप
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में इनके दो प्रिय मंत्रों का जाप जरुर करें। पहला मंत्र है “ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी, सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते”। दूसरा मंत्र है “ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”। पूजा के साथ इन दोनों मंत्रों का जाप जरुर करें। पूजा के बाद मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाएं।
माता का ये रुप सौम्य और ऊर्जावान होता है। ये मां पार्वती का वो रुप है जिसमें वे भगवान शिव की पूजा कर रही हैं। मान्याताओं के अनुसार देवी पार्वती ने नारद जी के सुझाव पर भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक जंगल में कठोर तप किया था। माता का ये रुप सफेद वस्त्र धारण किए है और हाथ में कमंडल एवं जप की माला धारण है। उनके कठोर साधना के कारण उनको मां ब्रह्मचारिणी कहा गया।