दुनिया का सबसे विकसित देश दुबई (Dubai) आज जलमग्न (Dubai Floods) हो गया है। गर्म रेत के रेगिस्तान कुछ ही घंटो में पानी से भरे दिखाई दे रहे हैं। बाढ़ के हालत में हर कोई परेशान है, दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पानी में डूब चुका है। लिहाजा कई फ्लाइटों को रद्द किया जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार आनेवाले दो से तीन दिनों तक हालात ऐसे ही रहने वाले हैं। पर यहां ये सोचने वाली बात है की ये बिना मौसम की बारिश आखिर अचानक क्यों हुई? और कैसे दुबई के हालात इतने बिगड़ गए ?
पानी की तलाश में डूब गया पूरा देश
दुबई (Dubai) में सालों से कृत्रिम बारिश की जा रही है। पानी की पूर्ति के लिए कई देश इस तरह की बारिश का सहारा लेते हैं। दुबई की बात की जाएं तो यह देश कई सालों से कृत्रिम तकनीक को अपनाकर बारिश करवाता है। पर इतने सालों में ऐसे हालात कभी नहीं बनें की पूरी देश चारों तरफ से पानी से भरा जाए।
बाढ़ की सबसे बड़ी वजह
इस कृत्रिम बारिश को “क्लाउड सीडिंग” भी कहा जाता है। यह बारिश करवाने की वैज्ञानिक प्रक्रिया है। जिसमें छोटे-छोटे विमानों को बादलों के बीच से गुजारा जाता है। इन विमानों में सिल्वर आयोडाइड, सूखी बर्फ और क्लोराइड से लैस होते हैं। विमान इसे बादलों के बीच छोड़ते जाते हैं, इससे बादलों में पानी की बूंदें जमने लगती हैं और फिर बारिश के रूप में जमीन पर गिरने लगती हैं। क्लाउड सीडिंग से प्राकृतिक बारिश की तुलना में कई गुना ज्यादा बारिश कराई जा सकती है। सालों से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के दुबई (Dubai) में ये काम हो रहा है। पर इस बार की गई कृत्रिम बारिश में कोई तकनीकी खराबी आने से हाल बेहाल हो गए।
कई देश ले रहे इस तरह की बारिश का सहारा
दुनिया के कई सारे देश इस “क्लाउड सीडिंग” प्रक्रिया को पानी की पूर्ति के लिए अपना रहे हैं। चीन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, रूस और जापान कृत्रिम बारिश करने में सबसे आगे हैं। इससे पहले भी इस आर्टिफिशियल बारिश ने कुछ देश में बाढ़ के हालात बना दिए थे, पर दुबई (Dubai) जैसा विकराल रुप अभी तक नहीं देखने को मिला।
भारत में भी कृत्रिम बारिश का हो चुका परीक्षण
भारत में भी इस कृत्रिम बारिश का परीक्षण हो चुका है। भारत में इस तरह की बारिश वायुप्रदूषण को दूर करने के लिए की जाने वाली थी। दिल्ली सरकार ने बीते साल इसके लिए अनुमति भी प्राप्त कर ली थी, पर अंत में जाकर प्लान बदल लिया गया। दुबई (Dubai) के आज के हालात को देखकर तो यहीं कहा जा रहा है, की फिलहाल भारत को इसकी जरुरत नहीं है।