हर साल हम 7 मई को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाते हैं। ये एक ऐसी समस्या है तो आज के समय में हर दूसरे व्यक्ति से जुड़ी है। अस्थमा को समझने के पहले हमें इस बात को समझना होगा की ये कोई बीमारी नहीं बल्कि एक तरह की एलर्जी है। जिसका इलाज यही है की एलर्जी वाली चीजों का पता कर उनसे दूर रहा जाएं। दुनिया भर में दमे का रोग से बच्चें और बड़े दोनों ही ग्रसित हैं। इस जागरुकता वाले दिन (World Asthma Day) पर जानते हैं इस एलर्जी को और ज्यादा। याद रखें इलाज से पहले इसके लक्षणों को समझना जरुरी है।
वर्ल्ड अस्थमा डे 2024 थीम
साल 2024 की थीम अस्थमा शिक्षा सशक्तिकरण रखा गया है। यह थीम ग्लोवल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा की ओर से रखा गया है। कुछ लोग मानते हैं कि अस्थमा छूने से भी फैलता है जो कि बिल्कुल गलत है। इस बीमारी से रोकथाम के लिए जरुरी है कि इसकी सही जानकारी लोगों तक पहुंचाया जा सके। इसलिए हम हर साल जागरुकता के लिए ये दिन (World Asthma Day) मनाते हैं।
भारत में इतने प्रतिशत अस्थमा के मरीज
अस्थमा को आज एक बड़ी बीमारी के रुप में देखा जाने लगा लगा है। जिसकी मुख्य वजह है इसका बढ़ता प्रतिशत। पूरे विश्व में लगभग 1 अरब लोग श्वास रोगों (World Asthma Day) से पीड़ित हैं। भारत में अस्थमा के उतने ही रोगी हैं, जितने डायबिटीज एवं हृदय रोग के हैं। आंकड़ों के हिसाब से भारत में करीब 3 करोड़ मरीज अस्थमा के हैं। जो विश्व का 10 प्रतिशत है। अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है और ये बच्चों में तेजी से होता है।
अस्थमा के मरीजों के बढ़ने की मुख्य वजह
इस एलर्जी की बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है प्रदूषण। दुनिया में हर तरह का वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जो सांस में तकलीफ की मुख्य वजह बनता है। हवा में जहरीली गैसे और कई तरह के ऐसे तत्व मौजूद रहते हैं, जिनसे समस्या होती है। ये समस्या फेफड़ों में जा रही जहरीली
अस्थमा (World Asthma Day) एक गंभीर श्वास-संबंधित बीमारी है। जो वायुमंडल में धूल, धुआं या अन्य अप्रिय तत्वों के संपर्क में आने पर होती है। इस रोग से पीड़ित लोगों को छाती में दर्द, और श्वास की तकलीफ होती है। अगर समय रहते ना इलाज किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है।
बचाव के लिए लक्षणों को पहचाना जरुरी
इस बीमारी से बचने के लिए इसके लक्षणों को पहचाना जरुरी है। बीमारी पर नियंत्रण के लिए सही जानकारी का होना बहुत जरुरी है। अस्थमा के लक्षण एलर्जी या ट्रिगर नामक पदार्थों में सांस लेने से हो सकते हैं। सामन्य रुप से अस्थमा के ट्रिगर्स में ये बाते एक जैसी पायी गई हैं-
- पशु (पालतू जानवर के बाल या रूसी)
- धूल के कण
- कुछ दवाएं
- मौसम में बदलाव (अक्सर ठंडा मौसम)
- हवा में रसायन (प्रदूषण) या भोजन में
- शारीरिक गतिविधि
- पराग( फूलों से या उसके रस से)
- श्वसन संक्रमण, जैसे सामान्य सर्दी और कई अन्य वायरस
- तनाव
- तम्बाकू या धूम्रपान
नियंत्रित दिनचर्या और एलर्जी की लिस्ट बना कर रखें
याद रखें अस्थाम के मरीज अपना इलाज खुद ज्यादा अच्छे से रख सकते हैं, क्योंकि उन्हें एलर्जी की हर एक चीजों को याद रखना होता है। बच्चों की जिम्मेदारी घर के बड़े लें, और बड़े स्वंय अपना ध्यान रखें। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को एक नियंत्रित दिनचर्या फॉलो करना होता है। टाइम से खाना, फ्रिज की ठंडी चीजों से बचना जरुरी है। एलर्जी की हर एक चीज को ध्यान रखा जाएं तो अस्थमा के बड़े दौरों से पूरी तरह बचा जा सकता है। मरीज को एक एलर्जी लिस्ट तैयार कर हमेशा साथ रखना चाहिए। कई बार हम भूल जाते हैं की अंतिम बार किस वजह से अस्थमा का अटैक आया था। ये लिस्ट इस स्थिती में आपकी बहुत मदद कर सकती है।
व्यायाम है रामबाण
एलर्जी वाली चीजों के संपर्क में आने से सीधे फेफड़ों पर असर पड़ता है। फेफड़े सुकुड़ जाते हैं, और मरीज को सांस लेने की तकलीफ होने लगती है। ऐसे में फेफड़ों तक सही मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए ऐसी एक्सरसाइज या व्यायाम करें जो राहत दें। दमे के मरीजों के लिए ये कुछ आसान है जो बहुत फायदेमंद हैं-
- भुजंगासन
- सेतुबंधासन
- शलभासन
- धनुरासन
- पवनमुक्तासन
- शवासन
याद रखें अस्थमा का एक ही इलाज है, एलर्जी वाली चीजों से दूर रहा जाएं।