सर्दियों की ठंड में घूमने का अलग मज़ा होता है। साल के अंत में कई लोग काम से छुट्टी लेकर विंटर वेकेशन मनाने जाते हैं। ऐसे में शहरी जीवन बीता रहे लोगों को प्रकृति की गोद में जाना पसंद आता है। तो ऐसी ही एक शानदार जगह है “पचमढ़ी”(Pachmarhi)। जहां ठंड में घूमने का मज़ा कुछ और ही है। पांच गुफाओं से घिरा मध्यप्रदेश में स्थित ये हिल स्टेशन प्राकृतिक सौंदर्य के लिए हमेशा से जाना जाता है। पचमढ़ी को “सतपुड़ा की रानी” के नाम भी जाना जाता है। इस लेख में आपको इस हिल स्टेशन से जुड़ी हर जरुरी जानकारी मिलेगी।
प्रकृति की गोद में बसा हिल स्टेशन
वैसे तो पचमढ़ी (Pachmarhi) की किई विशेषताएं है। पर यहां का ठंडा सुहावना मौसम सबसे खास है। सर्दियों के मौसम में यहां तापमान लगभग 4-5 डिग्री सेल्सियस रहता है। वहीं जहां मई-जून के महीनों में जब मध्यप्रदेश के अन्य इलाकों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस होता है, तो पचमढ़ी में 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान नहीं होता है।
कहां स्थित है ये हिल स्टेशन
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में पचमढ़ी (Pachmarhi) हिल स्टेशन है। जो करीब 1067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये सतपुड़ा की श्रेणियों में बसा है। चारों तरह से हरियाली से घिरा यहां का दृथ्य अत्यंत सुहावना लगता है। यहीं वजह है की पचमढ़ी को ‘सतपुड़ा की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर घने जंगल और ऊंचाई से गिरते झरने देखने को मिलते हैं।
हिल स्टेशन (Pachmarhi) से जुड़ा रोचक इतिहास
विंध्य पर्वतमाला में स्थित एक शांत हिल स्टेशन हर किसी को आकर्षित करता है। पचमढ़ी (Pachmarhi) नाम 5 गुफाओं की वजह से पड़ा है। ये गुफाएं एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित हैं और एक उत्कृष्ट सहूलियत प्रदान करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने जंगल में अपने वनवास के दौरान इन गुफाओं में ध्यान किया था। हालांकि पुरातत्वविद दावा करते हैं कि इन गुफाओं को बौद्ध भिक्षुओं ने गुप्त काल (900-1,000 ईस्वी) में बनाया था।
आकर्षक करता प्राकृतिक सौदर्यता
जैसे ही पर्यटक पचमढ़ी (Pachmarhi) के क्षेत्र में प्रवेश करने लगते हैं यहां की प्रकृति सौदर्यता आकर्षक लगने लगती है। चारो तरफ नजर आती हरियाली मन को बहुत सुकून देने लगती है। पचमढ़ी आने पर आपको हर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कोई ना कोई घूमने के स्थल मिलते है। यहां स्थित सिल्वर फॉल (रजत प्रपात) पर्यटकों के लिए बहुत शानदार अनुभव रहता है। जहां 350 फुट की ऊंचाई से पानी नीचे गिरता है, जो देखने में बिल्कुल दूध के समान लगता है।
पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध स्थल
- रजत प्रपत (बड़ा झरना)
- बी फॉल
- बड़ा महादेवी
- गुप्त महादेवी
- चौरागढ़ ( महाशिवरात्रि के दौरान यहां भारी संख्या में शिव भक्त आते हैं )
- धूपगढ़ (सतपुड़ा और मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी)
- हांडी खोह (गहरी घाटी)
- अप्सरा जलप्रपात (फेयरी पूल)
- जटाशंकर (एक गहरी घाटी में स्थित गुफा)
- डचेस फॉल
- पचमढ़ी हिल (पचमढ़ी शहर का पूरा दृश्य)
आयुर्वेद चिकित्सा के लिए भी प्रसिद्ध
प्रकृति की गोद में बसा पचमढ़ी चारो तरफ से वृक्षों से घिरा हुआ है। यहां की जलवायु में पौधे बहुत आसानी से पनपते भी है। यहीं वजह है की यहां आपको विभिन्न तरह के पेड़ -पौधे नज़र आते हैं। आयुर्वेद जानकारों के अनुसार पचमढ़ी के जंगलों में कई बिमारियों से जुड़ी औषधि मौजूद है। यहां स्थित हर मंदिर के बाहर आपको जड़ी बूटी की जानकारी देते स्थानीय लोग मिल जाएंगे।
12 साल में एक बार खिलने वाला फूल
अनगिनत फूलों से भरा ये हिल स्टेशन किसी सुंदर गुलदस्ते से कम नहीं लगता है। जब आप पांडव गुफा में घूमते है तो आपको यहां हर तरह के एक से बढ़कर एक फूल देखने को मिलते हैं। पचमढ़ी में एक रोचक फूल भी मौजूद है, जो 12 साल में सिर्फ एक बार खिलता है। जिसका नाम है “नीलकुरिंजी” फूल। ये फूल सैलानियाें के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। नीले रंग के ये फूल सतपुड़ा की वादियों की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। इस 12 साल में एक बार खिलने वाले फूल का वैज्ञानिक नाम स्ट्रोबिलान्थस कलोसा है। स्थानीय भाषा में इसे कार्वी कहते हैं।
कैसे पहुंचे पचमढ़ी
सर्दियां शुरु होते ही अधिक संख्या में पर्यटकों का यहां आना शुरु हो जाता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन यहां का पिपरिया है । पिपरिया तक पहुंचकर स्थानीय वाहन से पचमढ़ी पहुंचना होता है। इसके बाद पचमढ़ी घूमने के लिए आप जीप या फिर दो पहिया वाहन भी ले सकते हैं। यहां ठहरने के लिए आपको हर तरह के होटल आसानी से मिल जाते हैं।