शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन भगवान कृष्ण ने ब्रज मंडल में गोपियों के साथ रासलीला की थी। चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त था, चंद्रमा की सुंदरता उनके प्रकाश ने भगवान को भी नृत्य में डूबा दिया था। यहीं वजह है की साल में 12 पूर्णिमा में यह पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। आज के दिन की पूजा और आज लगने वाले चंद्रग्रहण के प्रभाव को जानते हैं-
शरद पूर्णिमा के दिन प्रकट हुई मां लक्ष्मी
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस दिन को हम मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रुप में मनाते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी क्षीर सागर से प्रकट हुईं थीं। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह दिन काफी खास माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है की इस पूर्णिमा की रात्रि मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी पर विचरण करती हैं। उनके भक्तों को आशीर्वाद देती है।
सूतक काल से पहले इस समय करें पूजा
इस पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण (Chandra Grahan) भी होने की वजह से आपको सूतक काल लगने के पहले मां लक्ष्मी की पूजा करना होगा। चंंद्रग्रहण की अवधि 1 घंटे 16 मिनट तक है। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले से ही शुरू हो जाता है, जिसमें पूजा करना वर्जित है। ग्रहण 28 अक्टूबर की देर रात 01 बजकर 06 मिनट से लगेगा। इसका समापन 29 अक्टूबर को तड़के 02:22 AM पर होगा। यह एक खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा। इसे आंशिक चंद्र ग्रहण भी कह सकते हैं। यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगने वाला है। सूतक काल 28 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा और यह 29 अक्टूबर को 02:22 AM तक रहेगा। तो मां लक्ष्मी की पूजा (Sharad Purnima) का सबसे सही समय 28 अक्टूबर को 2 बजे के पहले का है।
आज के दिन क्यों खीर का भोग लगाया जाता है
इस पूर्णिमा (Sharad Purnima) की चांदनी रात में अमृत वर्षा होती है। इस रात में चावल की खीर बनाकर महीन सूती कपड़े से ढ़ककर उसे खुले आसमान के नीचे रख देना चाहिए। दूध, चावल और शक्कर तीनों ही मां लक्ष्मी को प्रिय हैं। 3-4 घंटे तक खीर पर जब चन्द्रमा की किरणें पड़ती है तो यही खीर अमृत तुल्य हो जाती है, जिसको प्रसाद रुप में ग्रहण करने से व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। उसका शरीर पुष्ट और कांतिवान हो जाता है। यहीं वजह है की मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और चंद्रदेव के प्रकाश को एकत्रित कर ये प्रसाद तैयार किया जाता है।
9 साल पहले भी शरद पूर्णिमा पर लगा था चंद्रग्रहण
इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन 9 साल के बाद विशेष दुर्लभ संयोग बन रहा है। शरद पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण साथ होने की वजह से ऐसा होगा। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन मां लक्ष्मी के साथ ही चंद्र देवता की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से कलाओं से परिपूर्ण दिखता है और अमृत बरसाता है। इससे पहले 8 अक्टूबर 2014 को शरद पूर्णिमा के दिन पूर्ण चंद्र ग्रहण पड़ा था और भारत में भी नजर आया था। पर इस बार चंद्रग्रहण गजकेसरी राजयोग के निर्माण के चलते कई राशियों के लिए बहुत ही शुभ योग बना रहे हैं।
शरद पूर्णिमा का दिन विशेष रुप से भगवान भक्ति में डूब जाने का दिन होता है। जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने आज के दिन नृत्य के जरिए धरती पर खुशी का माहौल बन दिया था। भगवान भक्ति में डूबी गोपियों के बीच हर्ष और उल्लास का समा बन गया था। उसी प्रकार एक दिन प्रभु की भक्ति का ये आनंद हर भक्त को लेना चाहिए। मंत्रों का जाप, भजन, संगीत के जरिए हर कष्ट को भूल भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जाप करें आज की रात्रि। भक्ति का ये आनंद एक दिन मन को मिलेगा पर इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहेगा।