भारत के वैज्ञानिकों का मून मिशन चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) अब अपने अंतिम पढ़ाव पर पहुंचने जा रहा है। पूरी दुनिया में चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3)की चर्चा जोरों पर चल रही है। 17 अगस्त को दोपहर में करीब 1 बजे विक्रम लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो चुका है। अब दोनों चंद्रमा के चक्कर लगा रहे हैं। 23 अगस्त को ये मिशन (Chandrayaan-3) अंतिम पढ़ाव पूरा करने जा रहा है।
आगे क्या करेगा विक्रम लैंडर
आज विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग और डीऑर्बिटिं करेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार ये वो स्थिती होती है जिसमें लैंडर की गति कम की जाती है। जिससे चंद्रमा पर सही लैंडिग हो सके। विक्रम लैंडर का वजन 1749.86 किलोग्राम है। किसी भी अंतरिक्षयान (Chandrayaan-3) के लिए ये स्थिती सबसे अहम होती है, जिसकी सफलता सॉफ्ट लैंडिग पर टिकी रहती है। इसको के वैज्ञानिकों ने लैंडिग को लेकर कई रिसर्च और शोध किए गए हैं। सभी बातों का ख्याल रखकर ही इस लैंडिग की सफलता की उम्मीद जताई जा रही है।
चंद्रमा से आया खास संदेश
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर 23 अगस्त को शाम 5.47 पर उतरेगा। चंद्रमा पर उतरने से पहले विक्रम लैंडर हर जरुरी आंकलन करेगा। दूरी कितनी है, जहां उतरना है वो जगह ऊबड़ खाबड़ तो नहीं है। इसरो ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी की लैंडर मॉड्यूल से संदेश मिला है, जिसमें उसने “यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त”, कहा। इसरो का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन 600 करोड़ रुपए की लागत का है। जिसे 14 जुलाई को धरती से चांद के दक्षिणी ध्रुव तक की 41 दिनों की जटिल यात्रा पर रवाना किया गया था। इस यात्रा में अब केवल 5 दिन शेष रह गए हैं। विकास की राह में भारतीय वैज्ञानिकों का ये मिशन बहुत अहम है।
एक और देश लैंडिंग के लिए तैयार
चंद्रमा की यात्रा पर भारत के अलावा रुस भी निकला है। रुस का लूना-25 भी इसी सप्ताह चंद्रमा पर उतरने की तैयारी कर रहा है। भारत और रुस दोनों देशों के मून मिशन पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों की निगाह टिकी हुई है। रुस के वैज्ञानिकों के अनुसार लूना-25 सही तरह से काम कर रहा है। 21 से 23 अगस्त के बीच चंद्रमा पर ये उतरेगा।