देश की महिलाओं को मिले नए पंख, “नारी शक्ति वंदन बिल” पर राष्ट्रपति की लगी मुहर

लोकसभा और राज्यसभा से पारित ऐतिसाहिक “महिला आरक्षण बिल” (Women Reservation Bill) पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर हो चुके हैं। जिसके बाद अब से ये विधेयक कानून बन गया है। 29 सितंबर को भारत सरकार ने इस संबंध में गजट अधिसूचना जारी की है। इसके साथ ही देश में महिला विकास क्षेत्र का एक और रास्ता खुल चुका है।

एक दिन पहले उपराष्ट्रपति ने दी मंजूरी 

गुरुवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) अधिनियम विधेयक हस्ताक्षर किए थे। जिसके बाद राष्ट्रपति के पास उनके अनुमोदन के लिए भेजा गया था। जिस पर आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर होते ही यह नया कानून बन गया है।

नारीशक्ति (Women Reservation Bill) वंदन बिल 

Women Reservation Bill

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस बिल को नारीशक्ति वंदन बिल (Women Reservation Bill) नाम दिया है। सबसे पहले विशेष सत्र बुलवार इस पर सहमति मिली थी। जिसके बाद लोकसभा से पारित किया गया। जहां पर पक्ष में 454 वोट मिले थे जबकि 2 सांसदों ने विरोध किया था। लोकसभा के बाद बिल को राज्यसभा में पेश किया गया। जहां कई चर्चाओं के बाद प्रस्ताव पास हुआ। इस प्रस्ताव पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष की मांग इसमें ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण देने की भी मांग की।

कानून बनने के बाद भी फिलहाल नहीं मिलेगा लाभ 

जिसके बाद से अब से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटें मिलेंगी। यहां यह भी समझना जरुरी है की इसका लाभ (Women Reservation Bill) फिलहाल महिलाओं को नहीं मिलेगा। महिलाओं को इसका लाभ जनगणना और परिसीमन (लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण) की प्रक्रिया के बाद ही मिलेगा। इससे अर्थ है इस बार होने वाले चुनाव में महिलाओं के पुराने नियम के अनुसार ही सीटें मिलेंगी।

कोरोनाकाल का असर कानून पर

पांच राज्यों के विधानसभा और अगले साल के लोकसभा समेत सभी चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित नहीं होंगी। सबसे पहले जनगणना और परिसीमन करवाया जाएगा। कोरोनाकाल होने की वजह से साल 2021 में तय जनगणना अब तक नहीं हो सकी है। तो फिलहाल ये कानून को आने में समय लगेगा। पर यहां तक की जीत देश की हर महिला की जीत है।