हिंसा का अखाड़ा बना बांग्लादेश, शेख हसीना हिंडन एयरबेस पर शरण की इंतजार में

बांग्लादेश के फिलहाल के हालात बेहद खराब है। देश हंगामा, लूट और हिंसा की आग में झुलस रहा है, आम जनता ने पीएम आवास में घुस कर तोड़फोड़ कर दी है। ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और सेना के विशेष हेलिकॉप्टर से भारत आ गई हैं। इस वक्त शेख हसीना दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस पर हैं। जब वे तड़के सुबह यहां पहुंची तो सबसे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने उनसे मुलाकात की। बांग्लादेश (Bangladesh) में भड़की इस हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।

हिंसा की भड़कती आग 

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नौकरी में आरक्षण खत्म करने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग के साथ बांग्लादेश (Bangladesh) चंद घंटों में हिंसा का मैदान बन गया। प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच हिंसा भड़क गई। 19 पुलिसकर्मियों समेत 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। सैकड़ों लोग घायल हैं।

प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास में कब्जा कर लिया और प्रधानमंत्री आवास में लगी बांग्लादेश के संस्थापक और शेख़ हसीना के पिता शेख़ मुजीबुर्रहमान की विशाल मूर्ति पर चढ़ गए और हथोड़े से तोड़ने की कोशिश की गई।

बांंग्लादेश सेना प्रमुख ने ली देश की जिम्मेदारी (Bangladesh)

शेख हसीना के बांग्लादेश (Bangladesh) छोड़ने के बाद सेना ने कमान संभाल ली है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने टेलीविजन पर दिए गए अपने संबोधन में कहा- “मैं देश की सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। कृपया सहयोग करें।” सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बताया कि सेना कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगी।

क्या है पूरा मामला, बांग्लादेश में क्यों हो रही हिंसा

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  • बांग्लादेश (Bangladesh) में भड़की आग की मुख्य वजह है आरक्षण। इस देश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण है, जिसमें 30 प्रतिशत उन लोगों के परिवारों के लिए आरक्षित है,  जिन्होंने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराया था। जिसमें अब इसमें कटौती हो गई है।
  •  इस आरक्षण पर पहले किसी को कोई आपत्ति नहीं थी। पर जैसे-जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का निधन होने लगा। उनकी जगह पर उनके बच्चों को नौकरियों में आरक्षण मिलने लगा। अब मुक्ति योद्धाओं के पोते-पोतियों को भी इस कोटा प्रणाली का लाभ मिल रहा है। जिस पर छात्रों ने आशंका जतायी की “जब सेनानियों के परिवार कोटे के तहत नहीं मिलते हैं तो सरकार अपने समर्थकों को सरकारी नौकरी दे देती है”।
  •  छात्रों के आंदोलन के जवाब में प्रधानमंत्री रही शेख हसीना ने बांग्लादेश सिविल सेवा में सभी कोटा रद्द कर दिया। यह उन छात्रों के लिए एक झटका था जो कोटा प्रणाली में सुधार चाहते थे, न कि इसे खत्म करना चाहते थे। छात्र चाहते थे कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों को कोई कोटा नहीं मिलेगा तो किसी और को भी नहीं मिलेगा।
  • कोटा पर कई और केस चले, कानून में बदलाव होते रहे।जुलाई में शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक होने लगा। आंदोलन के बढ़ने में प्रधानमंत्री शेख हसीना की बड़ी भूमिका मानी गई। शुरुआत में शांतिपूर्ण आंदोलन ने हिंसक रुप ले लिया।

बेरोजगारी से परेशान छात्रों को पीएम ने दिया आतंकवादी नाम 

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  • बेरोजगारी (Bangladesh) से परेशान छात्र आरक्षण के खिलाफ खड़े हुए। शेख हसीना ने आंदोलनकारी छात्रों को ‘आतंकवादी’ तक कह दिया। उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई के आदेश दे दिए।
  • जिसके बाद छात्र भड़क उठे, आगजनी होने लगी। पुलिस से भिड़ंत होने लगी। जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण प्रणाली में बड़ा बदलाव किया, जिसके बाद आंदोलन थम गया।
  • शेख हसीना के बयानों और कोटा में किए जा रहे कई बदलावों के बीच छात्रों का प्रदर्शन बढ़ता गया। प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की जाने लगी। जिसके बाद आज का दृश्य पूरे देश के सामने है।

शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और वे इस वक्त वे दिल्ली के नजदीक हिंडन एयरबेस पर घंटों से इंतजार कर रही हैं। उन्हें अन्य देश में जाने की अनुमति का इंतजार है।

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