भारत की दुर्गा पूजन की चर्चा पूरी दुनिया में होती है, मां के नौ दिनों का त्यौहार हर किसी को आकर्षित करता है। इस पूजा के लिए मां दुर्गा की मूर्तियों (Durga Idols) को स्थापित किया जाता है। कोलकाता के मूर्तिकारों की तैयार की गई मूर्तियां (Durga Idols) बेहद सुंदर होती हैं। यही मूर्तियां (Durga Idols) कोलकाता से विदेश जाने के लिए विशेष ऑर्डर पर तैयार हो रही हैं। जिनपर काम लगभग तैयार है बस अब ये रवाना होने के लिए तैयार है, साल 2023 दुर्गा नवमीं से पहले ये सभी देशों तक पहुंच जाएंगी।
विषय आधारित मूर्तियां हुई तैयार
#WATCH पश्चिम बंगाल: दुर्गा पूजा के लिए बस कुछ ही महीने बचे हैं ऐसे में उत्तर कोलकाता के कुम्हारटोली स्थित क्ले मॉडेलर्स कॉलोनी में देवी की मूर्तियां विदेश जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
कलाकार मिंटू पाल ने कहा, "इस साल मुझे 14 दुर्गा मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं, जिनमें से आठ… pic.twitter.com/vchhO8XSnj
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 2, 2023
वैसे तो ये मूर्तियां कई वर्षों से विदेश भेंजी जा रही हैं पर इस साल इन्हें अलग ढंग से तैयार किया जा रहा है। इस बार की मूर्तियां पारंपरिक नहीं बल्कि विषय आधारित हैं। पश्चिम बंगाल में आयोजक एक ‘विषय’ चुनते हैं जो आम तौर पर समकालीन होता है और उनके पंडाल, मूर्तियां और प्रकाश व्यवस्था इस विषय को उभारते हैं।
फाइबरग्लास से तैयार की गईं मूर्तियां
अमेरिका भेजी जानेवाली मूर्तियां फाइबरग्लास से तैयार की गई हैं। विदेश भेजे जाने वाली मूर्तियों की कुल संख्या 100 है, जिन पर अभी काम पूरा नहीं हुआ है। जो मूर्तियां दुबई भेजी जाएंगी अभी उनमें और ज्यादा वक्त लगेगा पर दुर्गा पूजा से पहले इन्हें डिलेवर कर दिया जाएगा। मूर्तियां पूर्वी महानगर से यूरोपीय देश,अमेरिका और जापान सहित दुनिया भर के विभिन्न स्थानों पर भेजी जाएंगी और इनकी शैली पारंपरिक ही होगी।
पश्चिम बंगाल की मूर्तियों की खासियत
पश्चिम बंगाल के मूर्तिकारों की कला विश्वविख्यात है। भक्तों के अनुसार इनकी मूर्तियों में देवी के रुप का यथार्थ दर्शन होता है। मंदिर की मूर्तिकला की विशेषताएं टेराकोटा और बांस हैं। पश्चिम बंगाल के मंदिरों की कला और शिल्पकला में लोक वास्तुकला का प्रभाव भी स्पष्ट है। गुप्त शैली ने बंगाल की मंदिर मूर्तिकला में एक क्षेत्रीय चरित्र ग्रहण किया। जिसनें 9वीं और 12 वीं शताब्दी के बीच बंगाल की मूर्तिकला के सबसे विपुल काल में कला-शैली के विकास में योगदान दिया।