हर साल 26 सितंबर को गर्भनिरोधक दिवस (World Contraception Day) मनाया जाता है। जिसे मनाने का मुख्य उद्देश्य गर्भनिरोधक को लेकर जागरुकता फैलाना है। यदि बात भारत देश की जाएं तो यहां गर्भनिरोधक के बारे में सभी को पता है। इसके बावजूद केवल 50 प्रतिशत महिला और पुरुष ही इसका ख्याल रखते हैं। बचे 50 प्रतिशत महिला और पुरुष हमेशा गर्भनिरोधक को हल्के में लेते हैं। ऐसे में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
महिला और पुरुष दोनों में जागरुकता जरुरी
असमय गर्भधारण, गर्भपात, हैवी ब्लीडिंग, एड्स जैसी गंभीर बीमारियों से बचने के लिए गर्भनिरोध या निरोध के बारे में जानकारी होना बहुत जरुरी है। जिसके लिए सबसे पहले महिलाओं के साथ पुरुषों को भी इसकी गंभीरता को समझना होगा। इसी बात को समझाने के उद्देश्य से हर साल 26 सितंबर को गर्भनिरोधक दिवस (World Contraception Day) मनाया जाता है।
ग्रामीण महिलाएं नहीं लेती गर्भनिरोधक
भारत में गर्भनिरोधक के बारे में शहरी और ग्रामीण दोनों महिलाओं को जानकारी है। ये एक सर्वे से एकत्रित किए डेटा में पाया गया। इसके बावजूद भी विवाहित महिलाएं ही इसे नज़र अंदाज करती है। नतीजन उन्हें कई गंभीर बीमारियों का सामना करता पड़ता है। ग्रामीण महिलाओं के अनुसार उन्हें गर्भनिरोधक दवाएं या निरोध के साधन लेने में शर्म आती है। ना ही वे इसके बारे में अपने पार्टनर से कुछ कह पाती हैं।
ग्रामीण महिलाओं में सबसे ज्यादा कम उम्र में गर्भधारण और उसके बाद गर्भपात की समस्या देखी गई है। ऐसे में महिला और होने वाले बच्चें दोनों की सेहत बिगड़ती है। कई बार ये समस्या जान भी गवां देती है। आज के दिन (World Contraception Day) आंगनबाड़ी केंद्रों की महिलाएं गांव-गांव जाकर इस ओर जागरुकता के कार्य करती हैं।
शहरों में पुरुष बचते हैं निरोध लेने से
इसके विपरीत शहरों में महिलाएं गर्भनिरोधक तो लेना चाहती हैं। पर पुरुषों इस ओर लापरवाही बरतते हैं। ऐसे में महिलाएं गर्भनिरोधक दवाओं का अवश्यकता से अधिक उपयोग कर लेती है। जो कई बार उनके हार्मोन्स को नुकसान पहुंचा देते हैं। ऐसे में पुरुषों में एड्स जैसी गंभीर बढ़ती है।
माता-पिता लें युवाओं को जागरुक करने की जिम्मेदारी
विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है की यौन संबंध को लेकर जागरुकता बढ़े। यौन संबंध सुरक्षित होना जरुरी है। जिसमें स्वंय के साथ अपने पार्टनर को किसी प्रकार की हानि ना पहुंचे। इस दिन को मनाने का एक और मुख्य उद्देश्य है की माता-पिता अपने युवा होते बच्चों से इस बारे में चर्चा करें। उन्हें इससे जुड़ी हर आवश्यक जानकारी दें।
महिलाओं और युवतियों में बढ़ी एनीमिया की समस्या
भारत देश में एनीमिया रोगी का प्रतिशत 39.86 है। जिसकी मुख्य वजह महिलाओं और युवतियों नें असमय होने वाला गर्भधारण है। कम उम्र में गर्भधारण से उन्हें गर्भपात होता है। इसके बाद हैवी ब्लीडिंग की वजह से वे एनीमिया की शिकार हो जाती है। कई बार उन्हें अपनी जान भी गवांना पड़ता है। विश्व गर्भनिरोधक दिवस (World Contraception Day) पर महिला और पुरुष दोनों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। ताकि कोई भी महिला या पुरुष किसी प्रकार की गंभीर बीमारी का शिकार ना हों। यहां एक बात का और ध्यान रखना जरुरी है की कभी भी गर्भनिरोधक दवाएं डॉक्टरों की सलाह के बिना ना लें। डॉक्टरों की निगरानी में ही महिलाएं इन गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करें। और पुरुष हमेशा निरोध के साथ ही संबंध बनाएं।