कैसे बने 51 शक्तिपीठ?
शक्तिपीठों (Hinglaj Mata Temple) का निर्माण हिन्दू धर्म की पुराणों में वर्णित एक महत्वपूर्ण कथा से जुड़ा है। इस कथा के अनुसार, शक्ति पीठों की स्थापना देवी सती के शरीर के अंगों के गिरने से हुई थी। यज्ञ स्थल पर राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया, जिसे सती सहन नहीं कर सकीं और क्रोध में आकर यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया।
सती की मृत्यु की खबर सुनकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए। उन्होंने वीरभद्र को उत्पन्न कर राजा दक्ष का संहार कर दिया। इसके बाद शिव, सती के जलते हुए शव को अपने कंधे पर लेकर तांडव करने लगे। शिव का यह विनाशकारी तांडव संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए संकट बन गया।
शिव के इस विनाशकारी रूप को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया। चक्र से सती के शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया। जहाँ-जहाँ सती के शरीर के अंग गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ (Hinglaj Mata Temple) कहलाए और उन्हें देवी के शक्ति के रूप में पूजा जाने लगा।
हिंगलाज में गिरा था माता सती का सिर
सती के शरीर के 51 अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे, और उन स्थानों को शक्ति पीठों के रूप में जाना गया। हर शक्ति पीठ के साथ देवी और भगवान शिव के एक रूप भैरव की पूजा की जाती है। इन स्थलों को देवी सती के विभिन्न रूपों के साथ जोड़ा गया है और इन्हें अत्यंत पवित्र माना जाता है। इन्ही में से एक है माता हिंगलाज का मंदिर।
स्थानीय मुस्लिमों का (Hinglaj Mata Temple) “नानी की हज”
पाकिस्तान के स्थानीय मुस्लिम भी हिंगलाज माता पर आस्था रखते हैं और मंदिर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। स्थानीय लोग इस मंदिर को “नानी का मंदिर” कहते है। एक प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए स्थानीय मुस्लिम जनजातियां, तीर्थयात्रा समूह में शामिल होती हैं और तीर्थयात्रा को “नानी की हज” कहते हैं।
स्थानीय मान्यता के अनुसार हिंगलाज माता को एक शक्तिशाली देवी माना जाता है जो अपने सभी भक्तों के लिए मनोकामना पूर्ण करती है। यहां माता को लाल देवी या हिंगुला की देवी और कोट्टारी या कोटवी के रूप में भी जाना जाता है।
इस स्थल की विशेषता
- हिंगलाज शक्तिपीठ एक दूरस्थ और पहाड़ी इलाके में स्थित है, जहां तक पहुंचना कठिन है, लेकिन इसके बावजूद हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं।
- यह स्थान सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में शक्तिपूजा का एक प्रमुख केंद्र रहा है। इसे अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली शक्तिपीठों में गिना जाता है।
- हिंगलाज शक्तिपीठ की यात्रा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और देवी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- हिंगलाज माता का आशीर्वाद लेने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है और देवी भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
हिंगलाज माता की महिमा और यह शक्तिपीठ संपूर्ण हिंदू समाज के लिए अत्यंत पूजनीय और महत्वपूर्ण स्थान है, और यहां की यात्रा को बहुत ही शुभ माना जाता है।
भारत के प्रमुख शक्ति पीठ
- कामाख्या देवी (असम)
- वैष्णो देवी (जम्मू और कश्मीर)
- ज्वालामुखी देवी (हिमाचल प्रदेश)
- कालीघाट (कोलकाता)
- तारा तारिणी (ओडिशा)