फिलीपिंस में 43वीं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता का अंतिम दिन था, 21 मई 1994। उस रोज की सुबह किसी ने सोचा नहीं था कि भारत का इतिहास बदलने वाला है, पर ऐसा हुआ। मात्र 18 साल की एक युवा लड़की ने 77 देशों की सुंदरियों को पीछे छोड़ ये ताज अपने नाम कर दिखाया। आज का दिन उनकी इस उपलब्धि को सेलिब्रेट करने का है, जिन्होंने भारत को एक नए क्षेत्र में पहचान दिलाई। जी हां यहां बात हो रही है पहली भारतीय मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन की। आज वे अपनी इस कामयाबी के 29वें साल का जश्न मना रही हैं। ऐसे में हम सभी को ये उन्हें बताना जरुरी है ये जश्व सिर्फ उनका नहीं है, हमारा भी है। सुष्मिता उन महिलाओं में से एक हैं, जो खुदके महिला होने पर गर्व करती हैं.. ये जरुरी भी है। यही तो वो बात है जो हमें खुद की रिस्पेक्ट करना सीखाती है। तो आज थोड़ा पीछे मुड़कर देखते है, कैसा रहा था वो यादगार दिन …
भारत के लिए गर्व का दिन
सुष्मिता सेन से पहले किसी भी भारतीय महिला को यह खिताब नहीं मिला था, इसलिए भारत के इतिहास में ये दिन बहुत खास है। जिस वक्त सुष्मिता ने ये ताज जीता वे महज 18 साल की थीं। उन्हें ये तो पता था की वे मिस यूनिवर्स बन गई हैं, पर इस बात पर यकिन करना उनके लिए मुश्किल हो रहा था।
वो सवाल जिसने बदल दिया भारत का इतिहास
सुष्मिता सेन से मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के एक राउंट में सवाल पूछा गया कि अगर आप किसी ऐतिहासिक घटनाक्रम को बदलना चाहें तो वह क्या होगा? इस पर उन्होंने जवाब दिया “जी मैं इंदिरा गांधी जी की मृत्यु को बदलना चाहूंगी”। उनके इस उत्तर ने बता दिया की वे अपने महिला होने पर कितना गर्व करती हैं। एक 18 साल की युवा लड़की के इस प्रकार के विचार हर किसी के दिल को छू गए। पूरे हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।
अंतिम सवाल और सुष्मिता का शानदार उत्तर
मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में सुष्मिता से पूछा गया लास्ट सवाल था कि उनके अनुसार एक महिला होने का सार क्या है? जिसके जवाब में सुष्मिता ने कहा था “एक महिला होना ही अपने आप में भगवान का उपहार है, जिसकी हम सभी को सराहना करनी चाहिए, बच्चे का जन्म मां से ही होता, जो एक महिला होती है”। सुष्मिता सेन अपने इस जवाब पर अब तक कायम है, वे तब से अब तक अपने महिला होने के अर्थ को सार्थक करती आ रही हैं। वे सच में महिला होने पर गर्व करती हैं। दो बच्चियों को गोद लेकर उनकी जिंदगी बनाकर उन्होने एक बड़ा मैसेज दिया है समाज को, कि जिंदगी संवारे के लिए बस इच्छा होना चाहिए। सच सुष्मिता आप पर हम सभी को गर्व है..।