ऑर्गेनिक का जमाना चल रहा है, जिसमें सभी को शुद्धता की तलाश रहती है। चारों तरफ से केमिकल और प्रदूषण से घिरा मनुष्य का जीवन फिर से प्रकृति से गोद में बसना चाह रहा है। ऐसे में एक महिला आईएएस दुर्गाशक्ति नागपाल की शानदार सोच (Story of Powerful Woman) ने कुछ प्रकृतिक तलाशा है और गांवासियों को आर्थिक रुप से मजबूत भी कर दिखाया है।
आशीर्वाद बनकर आयीं IAS दुर्गा शक्ति
उत्तर प्रदेश के बांदा गांव की महिलाएं गाय के गोबर से दीये बना रही हैं। इन दीयों से दीवाली के फेस्टिवल सीजन में बढ़िया आमदनी भी हो रही है। महिलाओं को ये आइडिया IAS अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल से मिला है। गांव की महिलाओं (Story of Powerful Woman) के लिए जिला मजिस्ट्रेट आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल किसी आशीर्वाद से कम नही हैं।
गांव की महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
गांव में आजीविका मिशन के हिस्से के रुप में आईएएस अधिकारी ने कई महिलाओं को इन पर्यावरण-अनुकूल और बहुउद्देश्यीय दीयों को बनाने के लिए प्रशिक्षित किया। इस पहल ने गांव की महिलाओं को गाय के गोबर का इस इनोवेटिव तरीके से उपयोग करने में मदद की है। जिससे उनके परिवारों की आय भी बढ़ी है। इसके साथ ही महिलाएं स्वंय के खर्चे पर घर चलाने लगीं है। IAS दुर्गा शक्ति नागपाल ने गांव की महिलाओं (Story of Powerful Woman) को आत्मनिर्भर बना दिया है।
पर्यावरण के अनुकूल और कीड़ों को दूर करते हैं ये दीयें
पर्यावरण अनुकूल होने के अलावा गाय के गोबर से बने ये दीये हानिकारक कीड़ों को दूर रखने में मददगार होते हैं। महिलाओं (Story of Powerful Woman) के बनाने ये दीये बाद में राख बनकर खाद में बदल जाते हैं। जिससे किसी प्रकार को कोई कचरा या प्रदूषण भी नहीं होता है।
दीयों के बाद गाय के गोबर से पेन्ट बनाने की तैयारी
गोबर के दीए के साथ ही IAS दुर्गा शक्ति नागपाल गाय के गोबर से पेंट भी बनाने की तैयारी में जुट गई हैं। उनका कहना है की “गौवंशों को सुव्यवस्थित रुप से संरक्षित करने के साथ आय के साधानों को भी बढ़ाना जरुरी है”। गाय के गोबर से पेन्ट के अलावा गौवंश के गोबर से बर्मी कम्पोस्ट बनाये जाने तथा गोबर के लट्ठे तथा गोबर के दीपक एवं जीवामृत भी बनाये जाने का प्रजेन्टेशन किया गया है।
गांववासी को मजबूत बना रहीं IAS
स्वयं सहायता समूहों तथा गौशाला संचालकों को इन कार्यों को करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस दिवाली गाय के गोबर के प्रकृति दीयों से उत्तर प्रदेश रोशन हो रहा है, तो अगली दिपावली से पहले तक गाय के गोबर से पेन्ट भी तैयार हो जाएगा। इस कार्य के लिए गांवासियों को उचित ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें सही तरिके से काम करना सीखाया जा रहा है। उनकी मेहनत के हिसाब से उन्हें उचित मुनाफा भी दिलवाया जा रहा है। आईएएस दुर्गा की सोच ने बांदा गांव को एक नयी पहचान दिलाई है। उनके हुनर से पूरा गांव रोशन हो चुका है। मार्केट में भी इन गोबर से बने दीयों की डिमांड होने लगी है। जल्द ही यह बड़े मार्केट में देखने को भी मिलने लगेंगे।