नवरात्रि में भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली हैं सलकनपुर की माँ बिजासन देवी

भोपाल – शारदीय नवरात्रि (Navratri), देवी दुर्गा की पूजा का एक महापर्व है । नवरात्रि पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न शक्तिपीठों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना करने से जीवन के सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होने वाले इस उत्सव (Navratri) में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
देवी दुर्गा का एक ऐसा ही रूप है सलकनपुर की माता बिजासन। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में स्थित यह मंदिर, माता के अद्वितीय स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है। माता बिजासन के भक्तों का मानना है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से माता की आराधना करता है, उसकी सभी बाधाएं दूर होती हैं। नवरात्रि के समय सलकनपुर आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास की कोई सीमा नहीं होती। शारदीय नवरात्रि (Navratri) के दौरान यह स्थल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन जाता है। जहां सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे देश से भक्त माता के दर्शन करने आते है।

माता विजासन का महत्व

माता विजासन, दुर्गा माता के शक्तिशाली रूपों में से एक मानी जाती हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शारदीय नवरात्रि (Navratri) के दौरान, माता बिजासन मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, हवन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। भक्त नवरात्रि के नौ दिनों तक उपवासी रहते हैं और मां की आराधना करते हैं।
Navratri
विशेष रूप से नवमी को कन्या पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें कुमारी लड़कियों को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। सलकनपुर में नवरात्रि (Navratri) के दौरान एक बड़ा उत्सव मनाया जाता है। मंदिर परिसर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य और भजन का आयोजन होता है।
सलकनपुर के भक्तों का मानना है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से माता बिजासन की आराधना करता है, उसकी सभी बाधाएं दूर होती हैं। नवरात्रि (Navratri) के दौरान, यहां भक्तों की संख्या बढ़ जाती है, जो मां के आशीर्वाद के लिए दूर-दूर से आते हैं।

शारदीय नवरात्रि में किस दिन करें किस देवी की पूजा

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माता दुर्गा के ये नौ रूप देवी से मिलने वाली अलग अलग ऊर्जा के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं। तो चलिए जानते हैं किस दिन माता के किस स्वरुप की पूजा की जाती है।
  • प्रथम दिन – शैलपुत्री – शक्ति और धैर्य का प्रतीक।
  • द्वितीय दिन – ब्रह्मचारिणी – तप और ज्ञान की देवी।
  • तृतीय दिन – चंद्रघंटा – युद्ध और विजय की देवी।
  • चतुर्थ दिन – कूष्मांडा – सुख-समृद्धि की देवी।
  • पंचम दिन – स्कंदमाता – शक्ति और मातृत्व की देवी।
  • षष्ठ दिन – कात्यायनी – दुर्गा की योद्धा रूप।
  • सप्तम दिन – कालरात्रि – बुराई को समाप्त करने वाली देवी।
  • अष्टम दिन – महागौरी – ज्ञान और भक्ति की देवी।
  • नवम दिन – सिद्धिदात्री – सिद्धियों और सफलताओं की देवी।

शारदीय नवरात्रि (Navratri): महत्व और विशेषताएँ

शारदीय नवरात्रि (Navratri), देवी दुर्गा की आराधना का एक प्रमुख पर्व है, जिसे विशेष रूप से भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक, यानी कुल नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं और अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अनुष्ठान करते हैं।
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नवरात्रि (Navratri) का पर्व शक्ति, साहस और सकारात्मकता का प्रतीक है। इसे देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के रूप में देखा जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक हैं। इस दौरान भक्त साधना, उपवासी और जप-तप करते हैं। यह समय आत्मा की शुद्धता और मानसिक एकाग्रता के लिए महत्वपूर्ण है।
यह केवल व्यक्तिगत श्रद्धा का पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने का भी कार्य करता है। सामूहिक पूजा और समारोहों के माध्यम से लोग एक दूसरे से जुड़ते हैं। इस उत्स्व के समय विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे गरबा, डांडिया और भक्ति संगीत। यह समाज में खुशियाँ फैलाने का अवसर है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में नवरात्रि को मनाने के अपने अलग-अलग तरीके और परंपराएँ हैं। ये परंपराएँ विभिन्न संस्कृति और उनकी विरासत को दर्शाती हैं। नवरात्रि का यह त्यौहार भारत की विभिन्नता में एकता को दर्शाता है।

नवरात्रि की पूजा विधि

  • उपवास: भक्त नवरात्रि में उपवास रखते हैं और केवल फल या विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं।
  • आरती और भजन: सुबह और शाम आरती का आयोजन किया जाता है, जिसमें भजन और कीर्तन होते हैं।
  • कन्या पूजा: कुछ स्थानों पर कुमारी बच्चों की पूजा की जाती है, जो देवी का रूप मानी जाती हैं।
कैसे पहुँचें सलकनपुर

Navratri

  • हवाई मार्ग – सलकनपुर का निकटतम हवाई अड्डा राजा भोज एयरपोर्ट, भोपाल है। यहां से आप टैक्सी या बस के माध्यम से सलकनपुर पहुँच सकते हैं।
  • रेलवे मार्ग – भोपाल रेलवे स्टेशन से सलकनपुर के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं। नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन भी पास है, जिससे यहां तक पहुँचने के लिए विकल्प मिलते हैं।
  • सड़क मार्ग – सलकनपुर भोपाल से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप NH-12 का उपयोग करके आसानी से यहां पहुँच सकते हैं।