Friday, September 20, 2024
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आज तक क्यों नहीं सुलझा शांग्री-ला का रहस्य

स्वर्ग लोक की कल्पना आते ही हमारे मन में ऐसी तस्वीर सामने आती है जहां किन्नरों से संगीत, गंधर्वो का दिव्य गायन व अप्सराओं से नृत्य करवाया जाता है, और ऐसे ही स्वर्ग की कल्पना कर हम खो जाते हैं। पर क्या सच में होता है, क्या सच में कोई ऐसा स्थान है जहाँ जीवन की सारी सुख-सुविधाएँ हैं। आज की विकसित तकनीक के युग में जहाँ वैज्ञानिकों का मानना है कि मनुष्य की औसत 60 से 70 वर्ष है। पर आज हम आपको एक ऐसे प्राचीन और रहस्य्मय स्थान के बारे में बताने वाले हैं जहाँ किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती है। यहां रहने वाले लोग सैकड़ों सालों से जीवित हैं और तपस्या में रत है। ऐसे स्थान के बारे में आज के युग में सभी जानना चाहते हैं।

आप मानो या ना मानो लेकिन यह सत्य है कि हिमालय में स्थित सिद्धाश्रम एक ऐसा ही स्थान है जहाँ लोगों की मृत्यु नहीं होती है। इतिहास और वर्तमान के बीच की इस कड़ी के बारे में आप जानेंगे तो आप यहां के रहस्य को जानकर हैरान हो जाएंगे। दुनिया में जो आता है उसे एक निश्चित समय के बाद संसार से जाना भी पड़ता है। जन्म लिए हुए व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है। इस दुनिया में अमरत्व किसी को भी प्राप्त नहीं है, परन्तु यहां लोगों की मृत्यु नहीं होती। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

लगभग 2400 किलोमीटर की लम्बाई में फैली यह जगह हिमालय में है। जी हां, वेदो, पुराणों और कई उपन्यासों में इस बात का जिक्र किया गया है कि हिमालय में एक ऐसी जगह है जहां रहने वाले लोग अमर हैं। इस रहस्यमयी शहर में रहने वाले निवासियों की उम्र नहीं बढ़ती है। समय मानों इनके लिए थम सा गया है। मान्यताओं के अनुसार, समय-समय पर इस दुनिया से लोग इंसानी दुनिया में आते हैं और इससे मानव दुनिया में उथल-पुथल मच जाती है। कई बड़े बदलाव भी होते हैं। कलियुग के अवतार भगवान कल्कि देव की भविष्यवाणी में भी इस शहर का जिक्र है। ऐसा माना जाता है कि कल्कि देव के गुरु इसी शहर में हैं। यही रहकर वह उनके जन्म की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

हर धर्म कथा में इस शहर का जिक्र अलग-अलग नामों से किया गया है जैसे कि,सांभल, सिद्धाश्रम या फिर शांगरी-ला। ऐसा कहा जाता है कि युधिष्ठिर अपने जीवन के अंतिम क्षणों में अपने परिवार संग इसी शहर में आ गए थे। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस शहर को ढूंढ पाना आसान नहीं है। मैपिंग टेक और नेविगेशन सिस्टम की मदद से भी इस जगह को आज तक ट्रेस कर पाना संभव नहीं हो सका है। शायद सिद्धाश्रम आज भी आम इंसान की पहुंच से काफी दूर है। भले ही एक सामान्य इंसान इनकी दुनिया में नहीं पहुंच पाता हो, लेकिन सांभल के लोगों ने समय-समय पर इंसान की दुनिया में हस्तक्षेप कर चुके हैं और इससे मानव जीवन में कई सारे परिवर्तन भी हुए हैं।

एक गुप्त भूमि जहां महान योगी, साधु और ऋषि रहते हैं

इस अलौकिक आश्रम का उल्लेख चारों वेदों के अलावा अनेकों प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है। इसके एक ओर कैलाश मानसरोवर है, दूसरी ओर ब्रह्म सरोवर है और तीसरी ओर विष्णु तीर्थ है। स्वयं विश्वकर्मा ने ब्रह्मादि के कहने पर इस आश्रम की रचना की। यह भी मान्यता है कि राम, कृष्ण, बुद्ध,आदि दैवी विभूतियाँ सिद्धाश्रम में सशरीर विद्यमान हैं। ज्ञानगंज के नाम से प्रसिद्ध यह स्थान एक रहस्यमयी धर्मोपदेश माना जाता है, जो एक परंपरा के अनुसार, हिमालय में एक गुप्त भूमि में स्थित है, जहां महान योगी, साधु और ऋषि रहते हैं।यह स्थान तिब्बतियों द्वारा शम्भाला की रहस्यमय भूमि के रूप में भी प्रतिष्ठित है।

चेतना व दिव्यता का केंद्र

सिद्धाश्रम को आध्यात्मिक चेतना, दिव्यता के केंद्र और महान ऋषियों की वैराग्य भूमि का आधार माना जाता है। सिद्धाश्रम मानव और सभी दृश्य और अदृश्य प्राणियों के लिए समान रूप से दुर्लभ है। इस प्रकार, सिद्धाश्रम को एक बहुत ही दुर्लभ दिव्य स्थान माना जाता है। लेकिन साधना प्रक्रिया के माध्यम से कठिन साधना कर इस दुर्लभ और पवित्र स्थान में प्रवेश करने के लिए दिव्य शक्ति प्राप्त करना संभव है।

हिंदू धर्म में कई लोग मानते हैं कि शांग्री-ला(सिद्धाश्रम) में महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र,महर्षि वेदव्यास कणाद, पुलस्त्य,भृगु ,अत्रि,परशुराम, अगत्स्य, गौतम, कृपाचार्य को भौतिक रूप में देखा जा सकता है और किसी को भी उनके उपदेश सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। कई सिद्ध योगी, योगिनियां, अप्सरा, संत इस स्थान पर ध्यान करते पाए जाते हैं। बगीचे में सुंदर फूल, पेड़, पक्षी, सिद्ध-योग झील, ध्यान करने वाले संत और जगह की कई अन्य चीजों को शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।

शांग्री-ला के बारे में कहा जाता है है कि ये स्थान किसी दूसरे आयाम में स्थित है जिसका प्रवेश द्वार हिमालय की इन गुफाओं में कहीं है, किसी दूसरे आयाम में स्थित होने के कारण पृथ्वी का कोई भी नियम यहाँ काम नहीं करता। इस स्थान पर समय की गति का भी कोई प्रभाव नहीं है। कई बार इस स्थान को ढूंढने का बहुत से लोगों ने प्रयास किया लेकिन किसी को कभी कोई सुराग तक नहीं मिला।

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