आखिर क्यों इतने खास हैं कुबेरेश्वर धाम के “रुद्राक्ष”

महाशिवरात्रि के पहले कुबेरेश्वर धाम की चर्चा सभी जगह हो रही है। जिसकी खास वजह है यहां आयोजित हो रहा रुद्राक्ष महोत्सव। जिसमें चमत्कारी रूद्राक्ष बांटा जा रहा है। 16 फरवरी से शुरु होने वाले इस महोत्सव के लिए अधिक संख्या में आए श्रद्धालुओं को देखते हुए इसे दो दिन पहले 14 फरवरी से ही शुरु कर दिया गया था। जिसका नतीजा यह रहा की व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई। सीहोर के पहले 10 किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया। भीड़ में बुरी तरह फंसने से लोगों को ना पानी मिला ना ही खाना, कई लोगों को दम घुटने की समस्या होने लगी। इसी दौरान महाराष्ट्र से आयी एक बुजुर्ग महिला की मौत भी हो गई। 14 फरवरी को भगदड़ मच गई, कुछ लोग लापता भी हुए। पंडित प्रदीप मिश्रा का यह आयोजन बुरी तरह अव्यवस्थित हो गया। यह सब देखकर कई लोगों के मन में सवाल आ रहा है कि, आखिर ऐसा क्या है इस रुद्राक्ष में जो इसे पाने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आ रहे हैं, और अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं?

कुबेरेश्वर धाम का नजारा

दूर-दूर तक जहां भी नजर जा रही है, बस इंसान नजर आ रहे हैं, और हॉर्न बजाती गाड़ियां। यह नजारा है मध्यप्रदेश के सीहोर जिले का। जहां रुद्राक्ष महोत्सव आयोजित हो रहा है। पंडित प्रदीप मिश्रा इस कुबेरेश्वर धाम में शिव महापुराण की कथा भी सुना रहे हैं। इसके साथ आए लोगों को निशुल्क रुद्राक्ष बांटे जा रहे हैं। सुंदर लाइटिंग और सजावट से धाम रात में बहुत सुंदर नजर आ रहा है। आए श्रद्धालुओं के लिए रुकने की भी बेहतर से बेहतर व्यवस्था की गई थी, पर इतनी अधिक संख्या में लोगों की भीड़ एकत्रित होगी ऐसी किसी की भी कल्पना नहीं थी। श्रद्धालु 2-2 दिन पहले सीहोर पहुंच रहे हैं और घंटों कतार में खड़े होकर रुद्राक्ष प्राप्त करने की कामना में लगे हुए हैं।14 फरवरी से शुरु हुआ ये रुद्राक्ष महोत्सव 22 फरवरी तक आयोजित होगा।

आखिर क्यों प्रसिद्ध हैं ये रुद्राक्ष

पंडित प्रदीप मिश्रा जी के अनुसार इस रुद्राक्ष में बहुत बड़ी शक्ति है। इसका पानी पीने से हर तरह की समस्या से मुक्ति मिलती है। रुद्राक्ष के पानी के प्रभाव से बड़े से बड़ा कष्ट, बीमारी और समस्या से निजात मिलता है। रात भर रुद्राक्ष को पानी में डालकर रखना है, और सुबह इस जल को ग्रहण किया जाता है। कुबेरेश्वर धाम आश्रम की तरफ से इस बात का दावा किया जाता है और प्रचार भी होता है। ये रुद्राक्ष सभी के लिए अलग-अलग बांटे जाते हैं, उनकी समस्या को जानकर कई सारे मुखी के रुद्राक्ष बांटे जाते हैं।

सीहोर में ये रुद्राक्ष पंडित प्रदीप मिश्रा जी के नेतृत्व से बांटे जाते हैं, पंडित जी का जन्म 1980 में सीहोर मध्यप्रदेश में हुआ। वे ग्रेजुएट हैं, इनके पिता का नाम पंडित रामेश्वर दयाल मिश्रा है। इसके दो भाई भी हैं। पंडित जी विवाहित हैं, और सीहोर के ही निजी स्कूल में शिक्षक के पद कार्य कर चुके हैं। पंडित जी ने कथा वाचन और कर्मकांड विधी से अपने इस कार्य की शुरुआत की थी। वे आज लोगों की कई समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। जिनपर उनके विचार हैं की वे समस्याओं से जूझ रहे लोगों को जो निवारण करने का बोलते हैं, उनके बारे में हमारे पुराणों में पहले से ही बताया गया है।

कुबेरेश्वर धाम का संचालन आए हुए दान से होता है। यहां लंबे समय से मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। श्रद्धालुओं की श्रद्धा को देखते हुए गौशाला निर्माण और भोजन शाला का निर्माण कार्य चल रहा है। श्रद्धालु अपनी इच्छा अनुसार दान करते हैं, और रुद्राक्ष लेकर जाते हैं।