Friday, September 20, 2024
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रूस की प्रॉयवेट आर्मी ने की बगावत , पुतिन को लगाना पड़ा मार्शल लॉ !

15 महीने से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक नया ट्विस्ट आ गया है। जिसने अब रूस की टेंशन बढ़ा दी है। रूस की निजी आर्मी वैगनर ग्रुप ने बगावत कर दी है। रोस्तोव शहर पर वैगनर का कब्जा हो चुका है। वहीं कई और शहर निशाने पर हैं। इन सभी घटनाओं ने पुतिन की टेंशन की टेंशन बढ़ा दी है। लेकिन पुतिन ने भी संकेत दे दिए हैं कि इस बगावत का बदला मौत हो सकता है।

पुतिन ने लगाया मार्शल लॉ

वैगनर ग्रुप आर्मी की बगावत को देखते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश में मार्शल लॉ लागु कर दिया है। क्रेमलिन से जारी मार्शल लॉ में कहा गया है की अगर देश का कोई भी नागरिक देश विरोधियों का साथ देता है या देश विरोधी गतिविधि करते हुए पाया जाता है तो उसे तत्कालीन प्रभाव से डिटेन कर लिया जाएगा। आम नागरिकों के लिए ये डिटेंशन 30 दिनों का हो सकता है। वहीं दूसरी और पुतिन ने कहा है कि अगर वैगनर ग्रुप आर्मी मॉस्को की तरह बढ़ती है तो उनको आतकंवादी के समान सजा दी जाएगी।

क्यों वागी हुआ वैगनर ग्रुप?

आपको बता दें कि वैगनर ग्रुप आर्मी एक प्रायवेट आर्मी है। इस आर्मी को खुद राष्ट्रपति पुतिन ने बनाया था। अब तक वैगनर ग्रुप रूस की ओर से यूक्रेन में लड़ा रहा था, पर अचानक ही वैगनर ग्रुप ने अपनी बंदूकें यूक्रेन से हटा कर अपने ही देश के राष्ट्रपति पुतिन की ओर कर दी है। वैगनर ग्रुप के लीडर येवगेनी प्रिगोझिन ने कहा है कि उनकी आर्मी देश लड़ रही है पर उनके देश के वायुसेना वैगनर ग्रुप के लड़ाकों पर बेम वर्षा रही है।

कौन है वैगनर ग्रुप का लीडर?

वर्तमान में येवगिनी प्रिगोझिन ही वैगनर ग्रुप के हेड हैं। येवगिनी कभी रेस्टोरेंट चलाते थे। इनके रेस्तरां का खाना पुतिन को इतना पसंद आने लगा कि दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं। पुतिन के करीबी होने पर उनके कारोबार को बड़ा फायदा हुआ। आसानी से टेंडर मिलने लगे। यही वजह रही कि इन्हें लोग पुतिन का शेफ कहने लगे थे।

क्या है वैगनर ग्रुप?

वर्तमान में वैगनर ग्रुप को प्राइवेट आर्मी और सिक्योरिटी ग्रुप कहा जाता है। हालांकि कई बार क्रेमलिन पर आरोप लग चुके हैं कि वो अपनी मनमानी और रणनीतिक उद्देयों को अंजाम देने के लिए वैगनर ग्रुप का इस्तेमाल करता आया है, लेकिन क्रेमलिन ने इन दावों को हमेशा खारिज किया। कुछ समय पहले वाइट हाउस ने वैगनर ग्रुप के 30 हजार से अधिक सैनिकों के घायल होने का दावा किया था। इसके अलावा कई बार इस समूह पर मानवाधिकारों का हनने करने के आरोप लग चुके हैं। वाइट हाउस ने खुद कहा था कि इसके लड़ाके बेहद क्रूर होते हैं और उनमें दया भी नहीं होती।

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