बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा स्पोर्टस चैनल

चायनिज गेम पबजी जिसका एक ना एक एडेक्टेड हर गली-घर में मिल जाता है। कोरोना कॉल के दौरान कई चायनिज ऐप बैन किए गए थे, उनमें से पबजी भी एक था। इस गेम को बैन तो किया गया पर इसका इंडियन वर्जन “बैटल ग्राउंड मोबाइल इंडिया” (BGMI) शुरु हो गया। साउथ कोरिया की कंपनी क्राफटन के इस गेम ने माता-पिता की नाक में दम कर रखा है। बच्चें-युवा सभी को इसकी आदत लग गई है। ब्रेन को पूरी तरह डायवर्ड करने वाले इस गेम की पहले यूट्ब पर लाइव स्ट्रीमिंग होती थी, अब एक कदम आगे बढ़ते हुए ये टेलीविजन पर आने लगा है, जिसने हमारे लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है, की आने वाली पीढ़ी को कैसे ई- स्पोर्टस से दूर रखा जाएं।

पबजी गेम 30 जुलाई 2016 को शुरु हुआ था। जो साल 2000 में आयी जापानी फिल्म “बेटल रॉयल” से इंस्पायर था। जिसने लांच होते ही दुनिया के कई युवाओं को आकर्षित किया। गेम के बढ़ते वायरल के चलते चायनिज कंपनी टेनजेंट ने साल 2017 में क्राफ्टन में 12 प्रतिशत इनवेस्ट किया। गेम में चायनिज इंवेस्टमेंट के साथ ही युवाओं में बढ़ती लत को देखते हुए ही इंडिया में इसे बैन किया गया था। नए वर्जन ”BGMI” को पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने इंडिया में डाउनलोड कर रखा है।

ई स्पोर्टस BGMI  में होने वाले टूर्नामेंट में प्राइज मनी के रुप में एक बड़ी रकम दी जाती है, साथ ही इवेंट टाइम में लाइव स्ट्रिमिंग की व्यूअरशिप भी काफी ज्यादा होती है, जिसके चलते स्टार स्पोर्टस अब नॉटविन गेमिंग के साथ मिलकर टीवी पर टेलिकॉस्ट कर रहा है। इस गेम के साथ चायनिज मोबाइल फोन का प्रमोशन भी किया जाता है।

इस ई स्पोर्टस गेम के दौरान तेज आवाजें, रास्तों पर होती फायरिंग से ब्रेन पूरी तरह डायवर्ड तो जाता है। लंबे समय से गेम चला रहे कई बच्चों और युवाओं को कम सुनाई देने लगता है, घुंघला नजर आता है। बच्चों का बौद्धिक विकास रुक जाता है, उनमें चिड़चिड़ाहट होने लगती है। यहां तक नींद में भी दिमाग शांत होने की वजह अशांत रहता है। शारीरिक और मानसिक दोनों विकास रुक जाता है।

दुनिया में ऐसे कई ई स्पोर्टस आये हैं, जिनकी वजह से बच्चों की जान तक चली गई है। दिमाग को पूरी तरह काबू में करने वाले इस तरह के गेम एक अच्छे खासे व्यक्ति की छबि बदल कर रख देते हैं। बच्चें रात-रात भर सोते नहीं है बस गेम खेलने में बीजी रहते हैं। कई सारे रिसर्च से भी ये साबित हो चुका है, की ई गेम का असर बहुत खराब है। घर के बड़ों को अब कमान संभालना चाहिए, जो हाथ दुनिया को बेहतर बना सकते हैं, जो दिमाग बड़े-बड़े अविष्कार कर सकतें हैं, उन्हें इस तरह के गेम से दूर रखें। स्पोर्टस के चैनल पर वहीं गेम भाते हैं, जो खेल और खिलाड़ी को बढ़ावा दें, ना की चंद पैसों के लिए विकास को रोक दें।