आदिपुरुष के पहले दिन ही दर्शकों ने बयां की अपनी ये प्रतिक्रिया..

लंबे समय में चर्चा में बनी आदिपुरुष फिल्म आज रिलीज हो चुकी है। जिसके लिए दर्शकों ने एडवांस बुकिंग भी की। फिल्म के आने से पहले ही इसके गानों ने लोगों के दिलों में घर बना लिया था। रामायण की कहानी जिसे हम कई बार देख सुन और पढ़ भी चुके हैं। फिर भी जब कहीं रामायण का बखान होता है लोग हमेशा उसके बारे में जानने के लिए तैयार रहते हैं। यहीं उम्मीद लेकर आज थियेटर में कई राम भक्त पहुंचे। दर्शकों को एक बार फिर उन आदिपुरुष की सुंदर कथा से जुड़ना था जो सभी के आदर्श हैं। थियेटर से बाहर निकले लोगों की ये रही राय…

भावनाओं से परे रही फिल्म 

“राम सीया राम सीया राम जय जय राम….” इस गीत से जो भावना जुड़ी है, उसका किरदार में नज़र आना भी बहुत जरुरी है। यदि किरदार में भगवान राम और माता सीता की तरह वो कोमलता, निर्मलता ना नज़र आए तो समझों दर्शक  उस कहानी से नहीं जुड़े पाएंगे। यहीं हुआ फिल्म आदिपुरुष के साथ जिसमें प्रभाष जैसे साउथ के बड़े कलाकार ने प्रभु राम का रोल निभाया। पर वे इस बात को भूल गए की कहानी सदियों से सुनी जा रही हैं, राम नाम में ही प्रेम झलकता है। उनके चेहरे पर कभी भी क्रोध के भाव नहीं देखे गए। प्रभु राम के चरित्र को इतने बड़ी पर्दे पर दिखाने के लिए उनके भाव और विचारों को मुख पर झलकाना जरुरी हो जाता है, जो प्रभाष नहीं कर पाएं।

संबंधों के बीच के प्रेम को नहीं दिखा पाएं डायरेक्टर

रामायण की कहानी में सबसे जरुरी है की किरदारों के बीच का अलग-अलग रिश्तों का प्रेम दिखाई दे। जैसे की प्रभु राम -माता सीता, राम-लक्ष्मण, राम- हनुमान और माता सीता- हनुमान। इस सभी किरदारों में एक खास प्रेम नजर आता है, पति-पत्नी, भ्रात प्रेम, भक्त प्रेम, पुत्र और माता का प्रेम। जो आदिपुरुष में कहीं भी नज़र नहीं आ पाया। करुणा से भरी आंखे दर्शकों को नहीं दिखाई दी आदिपुरुष में।

डॉयलॉग में बेहद कमी

रामायण की कहानी में सुंदर वर्णावली का होना बहुत जरुरी होता है। अच्छे संवाद जिसमें बस दर्शक खो जाएं। वे बेहतर संवाद आदिपुरुष फिल्म में नहीं मिले। उम्दा डॉयलॉग से फिल्म को संभाला जा सकता है। जब वीएफएक्स नहीं हुआ करते थे तो सिर्फ संवाद ही थे दर्शकों को जोड़े रखने के लिए। और जब बात किसी महाकाव्य की हो तो उसके लिए डॉयलाग ग्रंथों से पढ़ कर भी समझे जा सकते थे। पर यहां डायरेक्टर की बड़ी कमी नज़र आयी। उन्होने इस बात को नहीं समझा की राम भगवान थे और उनसे जुड़ा कोई व्यक्ति उग्र और गलत बात अपनी चर्चा में नहीं शामिल करता है।

VFX के सहारे छोड़ दी गई फिल्म, फिर भी मिली नाकामी 

अब बात करते हैं फिल्म के वीएफएक्स के बारे में। फिल्म का ट्रेलर दो बार रिलीज किया फिर भी इसके ग्राफिक्स में कमी नज़र आयी है। हर चीज को ग्राफिक्स के ज़रिए दिखाने के चक्कर में डायरेक्टर भूल गए की जो आसानी से मिल सकता है उसे तो रियल ही दिखाया सही होता है। सबसे जरुरी बात, यदि वीएफएक्स पर पूरी तरह निर्भर होना है तो उनका तगड़ा होना भी जरुरी है। पर यहां ना तो कुछ पूरी तरह रियल नजर आया ना ही सही ग्राफिक्स। सब कुछ बस अधूरा सा रह गया ।

प्रभु प्रेम के चलते दर्शक पहुंच रहे थियेटर 

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फिल्म में कृति सेनन का रोल भी माता सीता की झलक दिखाने में नाकामयाब साबित रहा। हां यदि फिल्म पर थोड़े और साल काम किया जाता तो शायद थोड़ा सुधार किया जा सकता है। डायरेक्टर ओम राउत की इस फिल्म को दर्शक सिर्फ अपने प्रभु प्रेम के चलते देखने जाएंगे। इसके अलावा यदि रावण के किरादार की बात की जाए तो यहां सैफ अली खान के रोल को ग्राफिक्स के जरिए उभारने की कोशिश की गई। खैर, रामानंद सागर जी की रामायण की तुलना करना संभव नहीं है, पर फिर भी जब भी कोई इस सुंदर कहानी का बखान करें तो इस बात का उन्हें विशेष ध्यान रखना चाहिए की, भावनात्मकता को ना खोएं। “प्रभु राम” “राम” तभी कहे गए जब उन्होंने अपनी हर इच्छा, चाह का त्याग किया फिर भी मुख पर सौम्यता बनाएं रखी। फिल्म में इसी भावना की सबसे ज्यादा कमी रही।