पीएम मोदी जी कि माता हीराबा पंचतत्व में विलीन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि माता हीराबेन का आज तड़के सुबह निधन हो गया है। बुधवार को उनकी तबियत बिगड़े के बाद से उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनकी उम्र 100 साल थी। उम्र के इस पड़ाव में भी वे काफी एक्टिव थी और रोजाना के सभी कार्य खुद करती थीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता के निधन के बाद से लगातार देश के कोने-कोने से लोग शोक प्रकट कर रहे हैं। जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने हीराबेन के निधन पर शोक प्रकट किया, उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मैं आपकी प्यारी मां के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता हूं, उनकी आत्मा को शांति मिले आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूजनीय माता जी हीरा बा के निधन से एक तपस्वी जीवन पूर्ण हो गया। इस दुखद प्रसंग पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हम सभी स्वयंसेवक अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

सरल नारी जीवन की मिसाल

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी की माता का जीवनकाल कई कठिनाईयों के बीच होकर गुजरा, इसके बावजूद वे ईश्वर के प्रति अटूट आस्था रखती थी, उनके संस्कार उनके परिवार में हमेशा देखे जाते हैं। वे बेहद ही सरल जीवन यापन करती थीं, सरल नारी जीवन की मिसाल है हीराबा, उन्होनें कठिन से कठिन परिस्थिति में स्वयं को अपने परिवार को ढाला है। वे ईश्वर के प्रति बहुत विश्वास रखती थीं।

गांधीनगर के श्मशान घाट में हीराबा जी का अंतिम संस्कार किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने भाई के साथ माता को मुखाग्नि दी। नम आंखों से अंतिम विदाई देते प्रधानमंत्री जी के चेहरे पर साफ मां को खोने का दर्द नजर आ रहा था। प्रधानमंत्री समय-समय पर अपनी माता से मिलने गुजरात अपने घर जाते रहते थे। माता के प्रति उनके स्नेह को देख उनकी माता भी बहुत खुश होतीं थी। प्रधानमंत्री जी हर मुलाकात के दौरान अपनी माता जी के चरण धोते थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता हीराबा पंचतत्व में विलीन हो गईं है, पर वे अपने दिए गए संस्कारों के जरिए हमेशा अपने पुत्र के साथ है। माता पुत्र की इस तरह कि जोड़ी आज की पीढ़ि के लिए मिसाल है, जिस प्रकार देश का प्रधानमंत्री होते हुए भी वे माता के सामने सेवक की तरह उनकी सेवा करते थे, उनके लिए समय निकाला करते थे, ये बातें आज की युवा पीढ़ि के लिए प्रेरणादायक है। व्यक्ति कितना ही बड़ा मुकाम हासिल कर लें पर माता-पिता के सामने वह हमेशा छोटा ही रहेगा। इन बातों को सभी को स्वंय में लाना चाहिए, ये संस्कार ही तो है हमारी संस्कृति, हमारा भारत देश।