Friday, September 20, 2024
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PM मोदी ने मिस्त्र में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को अर्पित की श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे के बाद शनिवार को मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचे। जहां मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मैडबौली ने उनका भव्य स्वागत किया। प्रधानमंत्री मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के निमंत्रण पर दौरे पर मिस्र की राजधानी काहिरा(Cairo) पहुंचे। प्रधानमंत्री का यह दो दिवसीय राजकीय दौरा है। इस दौरान मिस्र ने PM मोदी को अपने देश के सर्वोच्च सम्मान “ऑर्डर ऑफ़ द नाइल” से सम्मानित किया। यह अवॉर्ड मिस्र का सबसे बड़ा राजकीय सम्मान है। अपनी यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री ने पहले विश्व युद्ध के वॉर मेमोरियल हेलियोपोलिस स्मारक व मिस्र की सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार अल-हाकिम मस्जिद का किया दौरा। आपको बता दें कि अल हाकिम मस्जिद काहिरा की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है और शहर में दूसरी फातिमिया दौर की मस्जिद है।

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के भारतीय सैनिकों को दी श्रद्धांजलि

हेलियोपोलिस स्मारक उन लगभग 4,000 भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। वहीं, हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक राष्ट्रमंडल देशों के उन 600 से अधिक जवानों की याद में बनाया गया है, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अदन में लड़ते हुए शहीद हो गए थे। प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के निमंत्रण पर मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं। यह 26 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्र यात्रा है।

मिस्र की अल-हाकिम मस्जिद का किया दौरा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को काहिरा में स्थित मिस्र की 11वीं सदी की ऐतिहासिक अल-हाकिम मस्जिद का दौरा किया। इस मस्जिद का भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से जीर्णोद्धार किया गया है। मिस्र की अपनी राजकीय यात्रा के दूसरे दिन रविवार को मोदी अल-हाकिम मस्जिद पहुंचे जिसका जीर्णोद्धार का काम करीब तीन महीने पहले ही पूरा किया गया है।

प्रधानमंत्री को मस्जिद के आर्किटेक्चर के साथ की दीवारों और दरवाजों पर की गई जटिल नक्काशी की सराहना करते देखा गया। मस्जिद का निर्माण 1012 में किया गया था।  मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका प्रांगण 5,000 वर्ग मीटर में है। मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते कहा कि बोहरा समुदाय 1970 के बाद से मस्जिद का रखरखाव कर रहा है। ऐतिहासिक मस्जिद का नामकरण 16वीं सदी के फातिमिया खलीफा के नाम अल हाकिम बामिर अल्लाह पर किया गया था। यह दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए अहम धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है।

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