PM मोदी ने US की फर्स्ट लेडी को गिफ्ट किया हीरा, जो बयां करता है भारत की पहचान

दुनियाभर में महिलाओं को सबसे ज्यादा पसंद आने वाला उपहार है हीरा। समय के साथ हीरे की चमक भी बढ़ी है, जहां पहले स्वर्ण आभूषणों पर महिलाएं सबसे ज्यादा पैसा खर्च करती थी। अब ये ट्रेंड बदल गया है, अब दुनिया भर में सबसे ज्यादा मांग डायमंड ज्वेलरी की है।

हम आपको ये सब इसलिए बता रहे है कि हाल ही जब भारतीय प्रधानमंत्री अपनी अमेरिका के दौरे पर थे, तो उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी और अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को हीरा उपहार में दिया ,तो चलिए जानते है क्या खास है इस हीरे में और कैसे अलग है ये हीरा प्राकृतिक हीरों से।

कैसा है इको-फ्रेंडली हीरा

इस हीरे को देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाली हीरा नगरी सूरत में बनाया गया है। सूरत के लिए यह एक नया कीर्तिमान है जब सूरत की लैब में बनाये गए हीरे को दुनिया की सबसे पावरफुल महिला को गिफ्ट किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडेन को जो डायमंड गिफ्ट किया है, वो करीबन 7.5 कैरेट का इको-फ्रेंडली हीरा है। इसको लेकर सूरत का हीरा एक बार फिर से विश्व भर में चर्चा का विषय बन गया है।

सूरत के इच्छापुर की कंपनी में बना हीरा

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर थे, और इस बीच उनकी वजह से डायमंड सिटी सूरत एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका की प्रथम महिला को जो हीरा उपहार में दिया, उसे सूरत की लैब में तैयार किया गया है। सूरत में असली हीरों के साथ-साथ लैंब ग्रोन हीरों की भी काफी मांग है। लैब में उगाए गए हीरों को इको-फ्रेंडली हीरे के रूप में जाना जाता है। ग्रीन हीरे जमीन से नहीं निकाले जाते, बल्कि इन्हें प्रयोगशाला में वैज्ञानिक विधि से कृत्रिम रूप से बनाया जाता है। पीएम मोदी ने जो हीरा भेंट किया है उसे सूरत के इच्छापुर स्थित एक कंपनी में बनाया गया है।

क्या है हीरा बनने का प्राकृतिक तरीका


प्राकृतिक हीरा बनने में कार्बन की जरूरत होती है। कार्बन पृथ्वी की सतह के नीचे करीब 150 से 200 किलोमीटर गहराई में जमा होता है तब इस पर बहुत ज्यादा तापमान और दबाव पड़ता है तो कार्बन के अणु आपस में जुड़ते हैं और इससे हीरा बनता है। कुछ पत्थर कुछ दिनों या महीनों में आकार ले लेते हैं, जबकि कई लाखों सालों में बनते हैं। तो कहना गलत नहीं होगा कि एक हीरे को बनने में लाखों साल लग जाते है।

सीवीडी तकनीक से दो महीने में बनता है ये ग्रीन हीरा

हीरा उद्यमियों की माने तो यह देश के लिए एक गौरव की बात है कि उनके यहां बनाया गया हीरा अमेरिका के व्हाइट हाउस में पहुंच गया है। यह हीरा पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी के बेस पर बना है। सूरत की डायमंड लैब के एमडी स्मित पटेल का कहना है कि ये हीरा सीवीडी तकनीक से बना है। ये पूरे देश के लिए बहुत बड़े गर्व की बात है कि सूरत, गुजरात में बना हीरा अब हमेशा के लिए व्हाइट हाउस में रखा जाएगा। पटेल ने बताया कि जो हीरा पीएम मोदी ने भेंट किया है वह 7.5 कैरेट का है वो इसलिए क्योंकि हम स्वतंत्रता के 75 साल को मना रहे हैं और ये ग्रीन एनर्जी से बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए गर्व की बात होगी जब अमेरिका की प्रथम लेडी इस हीरे को पहनेंगी। सूरत की डायमंड लैब के एमडी का कहना है कि ऐसे हीरे को बनने में कम से कम दो महीने लगते हैं।

सीवीडी तकनीक क्या है ?

रासायनिक वाष्प निक्षेप (CVD) तकनीक का इस्तेमाल करके भी हीरा बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में कार्बन के अणुओं को भाप बनने दिया जाता है। इस तरह वह गैस की अवस्था में पहुंच जाता है। उस भाप को नली का इस्तेमाल करके जमा किया जाता है और उसमें कुछ रासायन मिलाया जाता है। फिर उनको आपस में मजबूती से बैठने दिया जाता है। इस तरह से कार्बन के अणु हीरे जैसी बनावट हासिल कर लेते हैं। उसके बाद एक्सपर्ट जूलर उसे काटते और पॉलिश करते हैं ताकि उसमें असल हीरे जैसी चमक आ सके।

इंसान और जानवर से भी बनाया जा सकता है हीरा


कोयले की तरह इंसान और जानवरों के टिशू को भी हीरे में बदला जा सकता है। जीवों का निर्माण मुख्य रूप से पानी और कार्बन के अणुओं से होता है। इसी वजह से इंसान और जानवर के टिशू में हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। अगर किसी मृत इंसान या जानवर के शरीर से पूरा हाइड्रोजन और ऑक्सीजन निकाल दिया जाए तो उसके टिशू में सिर्फ कार्बन बचेंगे। बाद में उन टिशू को बहुत ज्यादा तापमान और दबाव का इस्तेमाल करके हीरा बनाया जा सकता है। दुनिया की कुछ कंपनियां इंसान या जानवर के अवशेष को हीरे में बदलने का काम करती हैं लेकिन यह बहुत महंगा पड़ता है। इस तरह के हीरे के लिए आपको लाखों रुपये खर्च करना पड़ सकता है।