Thursday, September 19, 2024
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विवादों से घिरी फिल्म “पठान” की ताबड़तोड़ कमाई जारी

4 साल बाद शाहरुख खान की वापसी का आलम इस तरह होगा किसी ने सोचा ना था। फिल्म पठान के दो दिनों के कलेक्शन ने थियेटर मालिकों को मालामाल कर दिया है। पहले दिन की 55 करोड़ की कमाई ने ये साबित कर दिया है, की बादशाह का जादू अब भी बरकरार है। पठान मूवी 25 जनवरी को रिलीज हुई, इसे दुनियाभर की 8 हजार स्कीन्स पर रिलीज किया गया। जिसमें 5,500 स्क्रीन भारत और 2500 स्क्रीन विदेशों की हैं। दुनियाभर में फिल्म को पसंद किया जा रहा है। आने वाले दिनों आकड़ा और ज्यादा बढ़ सकता है। बहुत से लोगों को टिकट नहीं मिलने की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कश्मीर घाटी के एक सिनेमा हॉल में तो करीब 32 साल बाद हाउसफुल का बोर्ड लगा, थियेटर के मालिक ने शाहरुख खान को इसके लिए धन्यवाद भी दिया।

पठान फिल्म के रिव्यू की बात करें तो, कहानी तो वहीं पुरानी है, पर निर्देशक सिद्धार्थ आनंद कि लास्ट फिल्मों के अनुसार ही पठान में भरपूर एक्शन दिखाया गया है। जहां एक देशभक्त एजेंट है, जिसे काम दिया गया है की वो देश को दुश्मनों से बचाएं। यहां जो दुश्मन है वो अपने ही देश का एजेंट है, जो आतंकवादियों से जा मिला है, इस किरदार में जॉन एब्राहम हैं। फिल्म में शाहरुख खान के करेक्टर का नाम है एजेंट पठान, जो अपने देश के लिए किसी से भी लड़ सकता है। इस फिल्म में आशुतोष राणा और डिंपल कपाड़िया भी अहम भूमिका में है, दीपिका पादुकोण के करेक्टर का नाम है रुबाई, जो एक आईएसआई एजेंट है। टाइगर जिंदा है की लव स्टोरी कुछ हद तक यहां भी दोहराई गई है।

अब क्या एजेंट पठान देश को दुश्मनों से बचा पाएंगे कि नहीं? क्या दुश्मनों के साथ मिला एजेंट, पठान के हाथ आएगा या नहीं? पठान देश और प्यार के बीच किसे चुनेगा? इस सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पठान फिल्म देखना होगा।

फिल्म जीरों के बाद अभिनेता शाहरुख खान पूरे 4 साल बाद बड़े पर्दे पर दिखाई दिए हैं। पठान फिल्म रिलीज के पहले ही कई सारे विवादों में रही है। कभी फिल्म को बॉलीवुड बॉयकॉट का सामना करना पड़ा, तो कभी फिल्म के गाने “बेशर्म रंग” की वजह से ये विवादों में रही। इन सभी के बीच अब फिल्म थियेटर में रिलीज हो गई है और ताबड़तोड़ कमाई कर रही है। अब निर्णय हमें खुद करना है, क्या फिल्म देखने योग्य है या नहीं। या ये सोचने की जरुरत है की “फिल्मों के मुद्दों को विवाद बनाकर हम खुद ही उन्हें हवा दिए जाते हैं, क्योंकि देश में फिल्मों के अतिरिक्त भी कई जरुरी मुद्दें है।

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