Uniform Civil Code – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मध्यप्रदेश दौरे पर समान आचार सहिंता यानि की यूनिफार्म सिविल कोड की खुलकर बात की थी। प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की आवश्यकता बताए जाने के बाद देश में इस विषय पर चर्चा तेज हो गई है। इसी बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने भी समान नागरिक संहिता पर बात करते हुए कहा है कि भारतीय कानून आयोग ने Uniform Civil Code के मुद्दे को सार्वजनिक डोमेन में डाल दिया है, जिसमे आम भारतीय नागरिक 13 जुलाई तक UCC पर अपनी दे सकेंगें।
लेकिन 13 जुलाई से पहले ही 3 जुलाई को Uniform Civil Code पर मंथन के लिए केंद्रीय संसदीय कार्यकारणी समीति की बैठक बुलाई गयी है। UCC के मसौदे पर होने वाली इस बैठक में लॉ कमिशन को भी बुलाया गया है। UCC के मुद्दे पर होने वाली इस बैठक की अध्यक्षता बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी करेंगे। बताया जा रहा है कि UCC पर सभी संसदीय कमेटी के सदस्यों की राय मांगी जाएगी। संसदीय कमेटी के सदस्यों की मत के आधार पर ही समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code ) कानून पर जायेगा।
क्या है समान नागरिक संहिता?
गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code ) शुरू से ही भाजपा के तीन प्रमुख एजेंडे में से एक रहा है। बीजेपी ने अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने के साथ ही अपने मैनिफेस्टो के दो बड़े संकल्प पूरे कर दिए गए और अब बीजेपी अपने तीसरे सांकल की और बाद रही है। समान आचार संहिता जिसे लेकर लेकर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने सियासी बैटिंग शुरू कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाने के बाद राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि आखिर 9 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी को ये बात क्यों याद आ रही है। आपको बता दें कि भोपाल में आयोजित एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि संविधान सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है और विपक्ष समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अल्पसंख्यकों को भड़काने का काम कर रहा है।
3 जुलाई को होने जा रही केंद्रीय संसदीय कार्यकारणी समीति की इस बैठक को समान नागरिक संहिता (UCC) कानून को लेकर बहुत ही अहम माना जा रहा है, विश्लेषकों का ऐसा कि मोदी सरकार जल्द ही समान नागरिक संहिता पर कोई बड़ा कदम उठा सकती है।