Thursday, September 19, 2024
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“रज उत्सव” के साथ तोड़े मासिक धर्म से जुड़ी सारी चुप्पी..

पीरियड्स या मासिक धर्म जिसे लेकर हमेशा चुप्पी रखी जाती है। इसके बारे में खुलकर बात करना अच्छा नहीं समझा जाता है। देश विकासशीलता की ओर जरुर बढ़ रहा है, जहां घर के बेटियों का हाथ थामकर पिता उसे नई उड़ान देने में साथ खड़े हो रहे हैं। पर फिर भी जब बात मासिक धर्म की आती है तो शSSSSSSS.. और एक साइलेंस इससे जुड़े हर सवालों को खामोश कर देता है। पर भारत में एक ऐसा राज्य भी है जो इसे आज उत्सव के रुप में मनाता आ रहा है। ओडिशा में आज से तीन दिवसीय रज उत्सव मनाया जा रहा है। ये त्यौहार हर साल मनाया जाता है, जिसे मनाने का विशेष कारण होता है धरती मां को होने वाले मासिक धर्म। ऐसा माना जाता है इन 3 दिनों तक धरती मां को पीरिड्स होते हैं जिसे मानसून के शुरुआत में मनाया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात इन दिनों भू देवी की पूजा भी की जाती है। जानते इस खास उत्सव के बारे में और भी रोचक बातें..

क्या होता है रज उत्सव

इस उत्सव को ‘रज पर्व या रजो महोत्सव’ कहा जाता है। जो तीन दिनों तक चलने वाला अनोखा त्योहार है। प्रतिवर्ष ये त्यौहार मॉनसून की शुरुआत में मनाया जाता है। जिसमें भू देवी यानी धरती माता की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इन तीन दिनों के बीच धरती माता मासिक धर्म से गुजरती हैं और चौथा दिन शुद्धिकरण स्नान का दिन होता है। धरती हमारी जीवन दायनी है, ऐसा माना जाता है उनकी पीढ़ा को पूजा -पाठ कर कम किया जाता है। ऐसा करने करने से धरती पर आने वाली आपदाओं में कमी होती है, संपन्नता बढ़ती है। इसलिए ऐसा माना जाता है, हर व्यक्ति को इन दिनों धरती मां की पूजा करना चाहिए।

महिला की पीढ़ा में होती है भू देवी 

जिस प्रकार मासिक धर्म के दौरान किसी महिला को दर्द और पीढ़ा से गुजरना होता है उसी प्रकार धरती मां को भी  बहुत तकलीफ और पीढ़ा होती है। ये उनके शरीर के विकास का प्रतीक होता है। इस पीढ़ा को प्रेम से कम करने का उत्सव है रज पर्व। इस उत्सव का ओडिशा में इतना खास महत्व है इन चार दिनों तक ओडिशा में कोई खुदाई का कार्य नहीं किया जाता है। धरती मां की तकलीफ ना बढ़े इसलिए खुदाई का कार्य पूर्णता बंद होता है।

किस प्रकार मनाते हैं ये उत्सव 

ओडिशा में रज उत्सव का बहुत खास महत्व है। जिसे यहां महिलाएं बहुत ही शानदार तरिके से मनाती हैं। जिस प्रकार दिन की शुरुआत में नारी स्वंय को संवारती है, उसी प्रकार आने वाले नए साल के लिए धरती मां को खुद को तैयार करना होता है। इसी बात का ध्यान रखते हुए यहां की महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, चार दिन आराम करती हैं। साधारण खाना खाती हैं, जिसमें नमक भी नहीं होता है। महिलाएं शरीर पर हल्दी-चंदन का लेप लगातीं हैं। पवित्र स्नान करतीं हैं। पैरों में चप्पल तक नहीं पहनतीं। लगातार तीन दिनों तक घर के काम में किसी प्रकार काट-छिल भी नहीं करतीं हैं।

भगवान की होती है पूजा

इन दिनों महिलाएं भू देवी के साथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ भगवान की पूजा करतीं हैं। अपने भावी सुखमय जीवन के लिए भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करतीं हैं। इन दिनों भगवान सूर्यदेव की पूजा का भी विशेष महत्त्व है। ऐसी मान्यता है कि उससे भावी लोकजीवन में शांति आती है। इस उत्सव के जरिए प्रकृति खुद को आने वाले उतार चढ़ाव के लिए तैयार करती है , इस रजोत्सव का अपना सामाजिक महत्‍व है।

ओडिशा में कई जगह मनाया जा रहा त्यौहार

इस वर्ष 2023 रज उत्सव भुवनेश्वर-कटक राजमार्ग के ग्रैण्ड आवास परिसर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है। जिसमें फैशन बाजार, म्यूजिक-डांस, गेम्स तथा कीड्स जोन एवं फूड फेस्टिवल का आयोजन भी किया गया है।। इसके साथ ही भुवनेश्वर रवींद्रमण्डप, जयदेवभवन, भंज कलामण्डप, उत्कल मण्डप में रज के अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा ओडिशा सरकार ने आयोजित किए हैं।

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