Maa Katyayani – नवरात्रि का छठा दिन कात्यायनी माता की पूजा के लिए समर्पित है। कात्यायनी माता, देवी दुर्गा का छठा स्वरूप मानी जाती हैं और उनका पूजन विशेषत: ज्ञान, शक्ति और भक्ति की साधना के लिए किया जाता है। कात्यायनी माता को युद्ध की देवी के रूप में भी जाना जाता है और वे भक्तों की कठिनाइयों को दूर करने वाली मानी जाती हैं। इस दिन भक्त देवी कात्यायनी (Maa Katyayani) की आराधना कर उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। नवरात्रि के इस दिन विशेष हवन, पूजन, और उपवास के साथ ही विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाते हैं।
देवी कात्यायनी (Maa Katyayani) का पूजन न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है बल्कि सामाजिक और पारिवारिक समृद्धि के लिए भी अत्यंत फलदायी होता है। इस दिन भक्तजन विशेष रूप से उपवास रखते हैं और मां की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्ति भाव से पूजा करते हैं।
कौन हैं माँ कात्यायनी(Maa Katyayani)?
माता कात्यायनी (Maa Katyayani) को युद्ध की देवी भी कहा जाता है और वे अपने भक्तों की सभी बाधाओं और समस्याओं को दूर करने वाली मानी जाती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को ज्ञान, शक्ति और भक्ति की प्राप्ति होती है। माता कात्यायनी को लाल फूल विशेष रूप से प्रिय हैं और उनकी पूजा में इनका विशेष महत्व है।
माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) का वाहन सिंह है और वे चार भुजाओं वाली हैं। उनके एक हाथ में तलवार, दूसरे में अभय मुद्रा, तीसरे में कमल और चौथे में आशीर्वाद की मुद्रा होती है
कैसे हुआ माँ कात्यायनी का जन्म ?
माता कात्यायनी (Maa Katyayani) देवी दुर्गा का छठा रूप मानी जाती हैं, जिन्हें विशेष रूप से नवरात्रि के छठे दिन पूजा जाता है। कात्यायनी माता की उत्पत्ति की कथा अत्यंत रोचक और प्रेरणादायी है। यह माना जाता है कि महान ऋषि कात्यायन ने कात्यायनी माता की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें वरदान दिया था।
माँ कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के यहां हुआ। कथा के अनुसार ऋषि कात्यायन ने भगवान शिव और देवी पार्वती की कठोर तपस्या की थी। ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव-पार्वती ने उन्हें वरदान मांगने को कहा, तब ऋषि ने वरदान के रूप माता को अपनी पुत्री रूप में माँगा। ऋषि के वरदान स्वरुप माँ दुर्गा ने ऋषि कात्यायन के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी (Maa Katyayani) कहलाईं।
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देवी कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा विधि और महत्व
छठे दिन की पूजा विधि में विशेष ध्यान रखा जाता है। भक्त प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और फिर देवी कात्यायनी (Maa Katyayani) की प्रतिमा के सामने दीप जलाते हैं। इसके बाद देवी को लाल फूल और गुड़हल अर्पित किए जाते हैं। भक्त मंत्रों का जाप करते हैं और विशेष हवन करते हैं।
माँ के इस रूप की पूजा से ज्ञान, शक्ति और भक्ति की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में समृद्धि आती है। नवरात्रि के इस दिन की पूजा हर भक्त के लिए आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।