नये रिकॉर्ड बना रही मनोज बाजपेयी की “सिर्फ एक बंदा काफी है”

मनोज बाजपेयी स्टारर फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ 23 मई को रिलीज हुई। ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई फिल्म को ऑडियंस से लेकर आम आदमी के अलावा समाज के हर वर्ग ने खूब सराहा है। फिल्म देखने वाले इसे मनोज बाजपेयी की अबतक की सबसे दमदार अदाकारी बता रहे हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग इसे इस साल की बेहतरीन फिल्म भी बता रहे हैं। इसकी व्यूअरशिप ने भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यह पिछले एक साल में सभी भाषाओं में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जी5 ऑरिजनल फिल्म बन गई है।‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ की सफलता और क्रिटिक्स से मिल रही सराहना से मनोज बाजपेयी बेहद खुश हैं। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि 2 साल की कड़ी मेहनत, अथक रिहर्सल, शूटिंग और पोस्ट-प्रोडक्शन के बाद फिल्म क्रू, सुपर्ण एस वर्मा, विनोद भानुशाली, निर्देशक अपूर्व सिंह कार्की और सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ और आद्रिजा सिन्हा जैसे अभिनेताओं सहित इतने सारे लोगों के योगदान का जश्न मनाया जा रहा है।”

मनोज बाजपेयी ने जताया दर्शकों का आभार
मनोज बाजपेयी ने कहा, “सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ की तारीफ हो रही है. आद्रीजा की तारीफ हो रही है और हर किसी की अदाकारी को सेलिब्रेट किया जा रहा है। इससे मुझे भी इस फिल्म को सेलिब्रेट करने का मौका मिल रहा है। फिल्म को जिस तरह ऑडियंस से प्यार मिला रहा है, उससे मैं बहुत खुश हूं और जनता का आभार जताता हूं कि उन्होंने इतना प्यार दिया.”

प्रोड्यूसर ने जताई फिल्म की सफलता पर खुशी
प्रोड्यूसर विनोद भानुशाली ने कहा, “इससे साबित होता है कि सिर्फ एक कहानी काफी है. साल के रिकॉर्ड तोड़ते हुए वीक डे पर फिल्म को जिस तरह के व्यूज मिले हैं, उससे पता चलता है कि आज के समय में हमारे दर्शक अच्छी और दमदार कहानी को देखना पसंद करते हैं, चाहे वह किसी भी भाषा में हो। यह हमें एक निर्माता के रूप में अधिक दिलचस्प कंटेंट लाने के लिए प्रेरित करता है।”

वकील के किरदार में हैं मनोज बाजपेयी
बता दें, ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। यह अपूर्व सिंह कार्की द्वारा निर्देशित एक कोर्ट रूम ड्रामा है, जिसमें मनोज बाजपेयी वकील पी.सी सोलंकी की भूमिका में हैं। एक हाईकोर्ट का वकील, जिसने अकेले ही देश के तथाकथित सबसे बड़े भगवान के खिलाफ एक असाधारण मामला लड़ा और पॉक्सो अधिनियम के तहत एक नाबालिग के बलात्कार के लिए उस पर मुकदमा चलाकर सफलतापूर्वक जीत हासिल की।

फिल्म में शाहजहांपुर का जिक्र
चूँकि फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित है तो फिल्म में एक बार शाहजहांपुर का भी जिक्र किया गया है। बॉलीवुड अभिनेता मनोज वाजपेयी ने पीड़िता के वकील का रोल निभाया है। फिल्म के बारे में बात करने पर पीड़िता के पिता ने बताया कि फिल्म को बनाने के लिए उनसे कोई वार्ता नहीं हुई और न ही अनुमति ली गई। यदि उनके खिलाफ फिल्म में कुछ नहीं है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि समाज के सामने दुष्कर्मी बाबा की सच्चाई सामने आए। फिल्म के जरिये पाखंडी बाबा के क्रियाकलाप सबके सामने आएंगे। भगवान से उनकी यही प्रार्थना करते हैं कि लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाला ऐसा व्यक्ति कभी जेल से बाहर नहीं आना चाहिए।

आपको बता दें कि शाहजहांपुर की बिटिया के साथ दुष्कर्म के आरोप में प्रसिद्ध कथावाचक आसाराम के खिलाफ दिल्ली में केस दर्ज हुआ था। शिकायत करने से लेकर दुष्कर्मी बाबा को सजा दिलाने तक पीड़िता और उसके परिजनों के संघर्ष को ‘सिर्फ एक बंदा ही काफी है’ फिल्म में दिखाया गया है।

राजस्थान हाई कोर्ट से आसाराम को झटका
आसाराम बाबू ने मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ को लेकर याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में फिल्म के सिनेमाघरों और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जेल में बंद आसाराम ने ओम प्रकाश लखानी के साथ पहले जी5 स्टूडियो की ओर से निर्मित और निर्देशित फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह उनकी अनुमति के बिना उनके जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में उन्हें नकारात्मक तरीके से दिखाया गया है।

इस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। राजस्थान हाई कोर्ट ने जेल में बंद बाबा आसाराम बापू की एक याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘फिल्म के ट्रेलर को देखने के बाद साफ कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता नंबर 2(आसाराम) का इससे कोई लेना-देना नहीं है। न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि फिल्म की रिलिजिंग पर रोक नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि फिल्म पहले ही रिलीज हो चुकी है। चूंकि याचिकाकर्ताओं ने समय पर अपना मामला दायर नहीं किया है। ऐसे में स्टे देने से फिल्म के निमार्ताओं को भारी आर्थिक नुकसान होगा।