सिर्फ एक गहना नहीं है मंगलसूत्र, सेहत से है इसका सीधा संबंध

एक विवाहित स्त्री के लिए मंगलसूत्र का बहुत महत्व होता है। मंगलसूत्र दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है “मंगल” जिसका अर्थ है पवित्र और “सूत्र” का अर्थ होता है हार, दोनों को मिलाकर शब्द बनता है “पवित्र हार”। शादीशुदा महिला विवाह के बाद मंगलसूत्र धारण करती है, जो सुहाग की निशानी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है की इस पवित्रसूत्र को पहने रहने से विवाहित जीवन में सदा खुशहाली आती है। इसके साथ ही इस सूत्र में कई अर्थ छुपे हुए हैं, और इसका स्वास्थ्य पर भी खास प्रभाव होता है, जानते हैं आज मंगलसूत्र के प्रभाव के बारे में..

विवाह के बाद स्त्री कई तरह के खास गहने पहनना शुरु करती है, जिसमें पैर के बिछुए, हाथों में चूडियां और गले में मंगलसूत्र सबसे जरुरी आभूषण होता है और इन गहनों का महंगा सस्ता होना किसी के लिए जरुरी बात नहीं होती। जरुरी ये होता ही कि वे हमेशा इसे धारण करें। सभी आभूषणों में से मंगलसूत्र का महत्व सबसे अहम होता है।

शिव-पार्वती का आशिर्वाद होता है मंगलसूत्र

हिन्दू धर्म में इस मंगलसूत्र के पीले भाग को पार्वती माता और काले भाग को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। विवाह के बाद भगवान शिव और माता पार्वती हर महिला के सुहाग की रक्षा करते हैं। इसे सुरक्षा कवच की तरह महिलाएं हमेशा अपने ह्दय से लगाकर रखती है।

सेलेब्रिटीज़ मंगलसूत्र डिज़ाइन

काला और पीला रंग क्यों है जरुरी

काला रंग शनि देवता का प्रतीक होता है, ऐसे में ये काले मोती विवाहित महिला और उसके पति दोनों की रक्षा करते हैं। एक महिला का सौंदर्य शादी के बाद बहुत बढ़ जाता है, ऐसे में ये काले मोती उसे बुरी नजर से भी बचाते हैं। पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक होता है जो शादी सफल बनाने में मदद करता है।

इस मंगलसूत्र में कई संदेश है छुपे

जिस प्रकार मंगलसूत्र को बनाने एक-एक मोती पिरोया जाता है, उसी प्रकार इसमें संदेश छुपा होता है कि नए परिवार के एक एक मोती, अर्थात सदस्यों को संजोकर रखना है। ये कर्तव्य स्त्री और पुरुष दोनों के लिए जरुरी होता है। स्त्री को  स्वंय को पीला रंग मान कर परिवार को रोशन करना होता है, इसलिए मंगलसूत्र में केवल काला और पीला रंग ही इस्तेमाल होता है।

नाड़ी को जागृत करता है मंगलसूत्र

मंगलसूत्र का महिला के शरीर से जुड़े रहने पर एक विशेष फायदा भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार मंगलसूत्र पहनने से स्त्री के शरीर में सूर्य नाड़ी या सूर्य चैनल जागृत होता है। जिससे महिला रोगों से निर्मुक्त रहती है। चूंकि महिला के कंधों पर पूरे परिवार का भार होता है, ऐसे में उसका स्वस्थ्य रहना भी जरुरी है। सूर्य चक्र जागृत होने से शरीर निरोगी रहता है और महिला स्वंय की तरह परिवार को भी मजबूत करती है। इसके साथ भी ऐसा माना जाता है कि ये रक्तचाप (ब्रेडप्रेशर) को भी कंट्रोल करता है। इसके साथ ही काले मोती से होकर निकलती वायु महिलाओं के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करती है।

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