1 नवंबर इस तारीख का भारत के इतिहास में बहुत महत्व है। इसी दिन यानी 1 नवंबर 1956 को देश के विभिन्न राज्यों (MP Foundation Day 2023) का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फ़ैसला लिया गया था। 1 नवंबर 1956 से लेकर 1 नवंबर 2000 तक भारत के छह अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ। इसमें मध्य-प्रदेश(MP Foundation Day 2023), छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल शामिल हैं। ये 6 राज्य 1 नवंबर को ही अस्तित्व में आये। इसलिए ये सभी राज्य एक ही दिन अपना स्थापना दिवस (MP Foundation Day 2023) मनाते हैं। इन 6 राज्यों के अलावा साल 1956 में 1 नवंबर के दिन ही देश की राजधानी दिल्ली को भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पहचान दी गयी।
कहानी मध्य प्रदेश (MP Foundation Day 2023) के पुनर्गठन की
मध्यप्रदेश (MP Foundation Day 2023): देश का दिल कहे जाने वाला राज्य मध्यप्रदेश 01 नवंबर 2023 को अपना 68वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस राज्य की स्थापना 1 नवंबर 1956 को ही हुई थी। भारत के दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश की स्थापना तत्कालीन भारत सरकार के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण रही थीं। जिसका मुख्य कारण था इसके चार हिस्से – मध्य प्रांत, पुराना मध्य प्रदेश, विंध्य प्रदेश और भोपाल को जोड़कर इसे एक राज्य बनाना।
लेकिन चुनौती इन 4 हिस्सों को मिलकर एक राज्य बनाने की नहीं थी।असली चुनौती थी इन बड़े प्रान्तों में रहने वाली जनता जो अलग-अलग विचार, जीवनशैली, खान-पान, रहन-सहन, लोक संस्कृति और आचार-विचार की थी। बहुत-सी बहस और विचार-विमर्श के बाद आखिरकार मध्य-प्रदेश बना। पुनर्गठन के पहले इसे मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था। 1 नवंबर,1956 को मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पं.रविशंकर शुक्ल का लाल परेड ग्राउंड पर पहला भाषण हुआ था।
4 राज्यों से मिलकर बना था अपना राज्य
मध्य प्रदेश का निर्माण सीपी एंड बरार, मध्य भारत ( ग्वालियर-चंबल ), विंध्यप्रदेश और भोपाल से मिलकर हुआ है। भारत में राज्यों के गठन के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया गया। राज्य पुनर्गठन आयोग को भारत की 14 राज्यों में से जाति, भाषा और संस्कृति के आधार पर राज्यों के नव निर्माण करने का महत्वपूर्ण काम सौंपा गया। आयोग ने महाकौशल, ग्वालियर-चंबल, विंध्य प्रदेश और भोपाल के आसपास के हिस्सों को मिलाकर जो राज्य बनाया आज हम उसे मध्य प्रदेश के नाम से जानते हैं।
मध्य प्रदेश (MP Foundation Day 2023) के गठन में लगे 34 महीने
राज्य पुनर्गठन आयोग को तत्कालीन उत्तर प्रदेश जितना बड़ा राज्य बनाने की जिम्मेदारी दी गयी थी। इसमें सबसे बड़ी चुनौती 4 राज्यों को मिलना था। चुनौती इसलिए भी और ज्यादा बड़ी हो जाती है कि पहले से मौजूद राज्यों की अपनी अलग पहचान थी और इनकी अपनी एक अलग विधानसभा भी थी। जब इन राज्यों को एक साथ किया जाने लगा तो रियासतदार इसका विरोध करने लगे। ऐसे में सभी समझौतों को पूरा करने में आयोग को करीब 34 महीने लग गए।
सरदार पटेल ने भोपाल को बनाया राजधानी
भारत की आजादी के आंदोलन में जबलपुर की भूमिका सबसे अहम रही। आजादी के आंदोलन के समय शायद ही कोई ऐसा शीर्ष नेता रहा हो जो जबलपुर नहीं आया हो। कांग्रेस के झंडा आंदोलन की शुरुआत भी जबलपुर से ही हुई थी। जबलपुर की इस प्राथमिकता को देखते हुए इसे राजधानी के लिए उपयुक्त माना था।
इसके लिए प्रक्रिया भी प्रारंभ हुई, लेकिन सरदार पटेल को यह खबर आई कि भोपाल के नबाब हमीदुल्ला खान भारत के साथ संबंध ही नहीं रखना चाहते थे। वे हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत में विलय का विरोध कर रहे थे। जिसके बाद देश की अखंडता व सौहाद्र स्वाभाविक तौर पर पहली प्राथमिकता बन गया, इसलिए सरदार पटेल ने भोपाल पर अपनी नजर रखने के लिए उसे ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने का फैसला लिया।
जबलपुर बनता देश के दिल की राजधानी
1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश की स्थापना (MP Foundation Day 2023) हर मध्यप्रदेशवासी के लिए खुशी का मौका थी , लेकिन संस्कारधानी यानी जबलपुर के लोग यह दिन इसलिए भी नहीं भूलते कि न चाहते हुए भी उनके हाथ से राजधानी का पद छिन गया। इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है आईये जानते हैं आखिर जबलपुर से राजनाधी का ताज कैसे छिन गया।
दरअसल सीपी एण्ड बरार के पुनर्गठन व प्रदेश की स्थापना के समय राजधानी के लिए सबसे पहले जो नाम सामने आया वह था जबलपुर। लेकिन प्रदेश में सामंजस्य बनाने के लिए जबलपुर को अपने लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। जबलपुर मप्र की राजधानी तो नहीं बन पाया लेकिन उसे हाईकोर्ट, मप्र विद्युत मंडल और सेन्ट्रल लाइब्रेरी की सौगात उसे जरूर हासिल हुई।