Ratan Naval Tata – रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे हैं,पर उनसे जुड़े किस्से लोगों को और ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं। उनके देहांत पर पूरे दिन सोशल मीडिया पर भारत रत्न की मांग की चर्चा होती रही, पर बहुत से ऐसे लोग भी थे जिनका मानना था की रतन टाटा की काबिलियत के आगे भारत रत्न भी छोटा है। इस महान व्यक्ति के पार्थिव शरीर के पास एक नौजवान (Shantanu Naidu) पूरे वक्त खड़ा रहा। जिसके बारे में हर कोई जानना चाहता है की आखिर कौन है ये युवक? और क्या था रतन जी के साथ उसका रिश्ता?
अजब-गजब रिश्ता (Ratan Naval Tata)
इस नौजवान का नाम है शांतनु नायडु (Shantanu Naidu) जो रतन जी का मित्र उनका सलाहकार होता था। जी हां ये बात सोचने में थोड़ी अजीब लगती है, पर ये सच है 31 साल का युवक 86 साल के रतन टाटा जी का मित्र है। जिनकी मित्रता का वर्णन करना बहुत ही मुश्किल है। दोनों के बीच ऐसा रिश्ता रहा है, जो उनके जाने से शांतनु के दिल में बड़ा खालीपन दे गया है।शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) और रतन टाटा की मित्रता की कहानी आज के दौर में एक प्रेरणादायक उदाहरण बन चुकी है। दोनों के बीच का संबंध केवल एक प्रोफेशनल बॉन्ड नहीं, बल्कि एक गहरी और व्यक्तिगत मित्रता के रूप में उभरा है।
ऐसे हुई मुलाकात
शांतनु नायडू, जो पेशे से एक इंजीनियर और सामाजिक उद्यमी हैं, रतन टाटा के करीबी सलाहकार और टाटा ग्रुप के हिस्से के रूप में कार्य कर रहे हैं। नायडू की और टाटा की मुलाकात तब हुई जब उन्होंने सड़कों पर आवारा कुत्तों को बचाने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की। उन्होंने “मोटरबाइक डॉग कॉलर” बनाया, जो रात के समय कुत्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करता था। इस पहल ने रतन टाटा का ध्यान खींचा, जो खुद पशु प्रेमी हैं।इसके बाद रतन टाटा ने नायडू (Shantanu Naidu) को एक निजी पत्र लिखा, जिसमें उनकी सराहना की और उनसे मिलने की इच्छा जताई। यह मुलाकात उनके बीच की एक नई शुरुआत बन गई। शांतनु नायडू ने रतन टाटा के नेतृत्व में काम करना शुरू किया, और जल्द ही उन्हें रतन टाटा के व्यक्तिगत सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
भावनात्मक जुड़ाव से भरा रिश्ता (Ratan Naval Tata)
इस संबंध की खास बात यह है कि यह केवल प्रोफेशनल नहीं रहा, बल्कि इसमें एक भावनात्मक जुड़ाव भी है। रतन टाटा ने शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) को न केवल एक टीम के सदस्य के रूप में, बल्कि एक दोस्त और मार्गदर्शक के रूप में स्वीकार किया है।शांतनु नायडू, जो उम्र में रतन टाटा से काफी छोटे हैं, ने अपने अनुभवों से सीखते हुए उनके साथ एक अनूठा संबंध बनाया है। दोनों की मित्रता से यह स्पष्ट होता है कि उम्र और पद की सीमाएं नहीं होतीं जब आप समान मूल्यों और उद्देश्यों को साझा करते हैं।
श्रद्धांजलि रैली सबसे आगे चलते रहा यह युवक (Ratan Naval Tata)
9 अक्टूबर 2024 को जब रतन टाटा जी का निधन हुआ तो, अस्पताल से लेकर उनकी श्रद्धांजलि यात्रा में शांतनु सबसे आगे बाइक से चलते रहे। मीडिया ने उनके कई मोढ़ पर चर्चा करने की कोशिश की। पर शांतनु के चेहरे पर अपने मित्र अपने मेंटर के जाने का गम इतना ज्यादा था, की वे कुछ बोलने के काबिल नहीं थे। शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) के चेहरे के हाव-भाव साफ कह रहे थे की रतन टाटा का उनके जीवन पर कितना अहम स्थान था।