भगवान श्रीकृष्ण (Janmashtami) का जन्म
भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा उग्रसेन की बेटी रानी देवकी के यहाँ हुआ था। देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान के रूप में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ।
उस समय मथुरा के राजा उग्रसेन के बेटे कंश के अत्याचार चरम पर थे। श्रीकृष्ण के जन्म के साथ ही धरती पर फैले दुराचार,अराजकता और अधर्म का अंत हुआ।
मथुरा में जन्म लेने के साथ ही उन्हें अपने माता-पिता से अलग हो गोकुल में नंदराज और यशोदा रानी के पास लाया गया। जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया। गोकुल, बज्र और वृन्दावन में श्रीकृष्ण ने कई लीलायें की। वृन्दावन में उन्होंने अनेक राक्षसो का वध भी किया।
जन्माष्टमी (Janmashtami) की पूजा और अनुष्ठान
जन्माष्टमी के दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्त इस दिन उपवास रहते हैं और रात 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा करते हैं। पूजा में भगवान कृष्ण की मूर्तियों को सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं और उन्हें भव्य श्रृंगार किया जाता है।
इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा, भजन, कीर्तन और धार्मिक कथाओं का आयोजन किया जाता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
दही हांडी: एक खास परंपरा
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन दही हांडी का आयोजन किया जाता है। दही हांडी को विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता जन्माष्टमी (Janmashtami) का एक प्रमुख आकर्षण है। इस दिन लोग ऊँचाई पर बंधी दही की हांडी को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं। यह परंपरा भगवान कृष्ण के बचपन की लीलाओं में से एक को दर्शाती है।
माना जाता है कि श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ मिलकर गोकुल के ग्वालों के घर मख्खन चुराने के लिए दही हांडी को तोड़ा करते थे। भगवान् की इसी लीला को इस आयोजन में दिखाया जाता है। दही हांडी आयोजन के दौरान भीड़ में उत्साह और जोश का माहौल रहता है।
मंदिरों में रौनक और भक्तों की भीड़
जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन मंदिरों में विशेष रौनक होती है। वहां भगवान कृष्ण की मूर्तियों को सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं और भव्य श्रृंगार किया जाता है। भक्त वहां पहुँचकर भगवान की पूजा करते हैं और उनके साथ नृत्य-गीत का आनंद लेते हैं। मंदिरों में इस दिन विशेष सजावट की जाती है, झांकियाँ सजाई जाती हैं, और धार्मिक संगीत बजाया जाता है।
उपवास और व्रत का महत्व
जन्माष्टमी (Janmashtami) के अवसर पर व्रत और उपवास का विशेष महत्व होता है। भक्त दिनभर उपवासी रहकर रात्रि को भगवान कृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा करते हैं। उपवास के दौरान, भक्त दूध, दही, फल और अन्य शाकाहारी वस्तुओं का सेवन करते हैं। यह उपवास और व्रत भक्तों को आत्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है।