अब जरुरत बड़े बदलाव की
16 साल की मूकबधिर बच्ची, या यू कहें कि एक जान जो ना कुछ बोल सकती है ना सुन सकती है, उसके साथ जयपुर में गैंगरेप हुआ, डॉक्टरों ने 3 घंटे के ऑपरेशन के बाद उसे बचा लिया।
इस खबर को आज अखबार में पढ़ने के बाद ऐसा लगा, जैसे किस लिए बचा लिया। हां हम सब यही कहते है, की मरना आसान है, परेशानियों से जुझना मुश्किल। पर ऐसी घटनाओं के लगातार होने से अब तो ऐसा लगता है, जैसे काश मरना ही आसान होता। हम ऐसे समाज का हिस्सा बनते जा रहें है, जिसमें कभी 2 साल की बच्ची, तो कभी चंद महीनों की जन्मी बच्ची के साथ बलात्कार होता है, और ये तो और भयानक, एक मूकबधिर बच्ची के साथ गैंगरेप ।
अब तक यही लगता था की घर में लड़कों को अच्छी परवरिश दी जाए तो इस तरह की घटनाएं कम होगी। पर हम भूल रहें की जिनके दिमाग में दरिंदगी जमी चुकी है, उन्हें भी तो ठीक करना होगा। आज की महिला अपने बेटे और बेटियों दोनों को बराबर शिक्षा दे रही है, पर हम भूल रहें है, की जिन घरों में बच्चों की सही शिक्षा , परवरिश पर ध्यान नहीं दिया गया है, उनकी हर संतान के लिए महिला इस्तेमाल की वस्तु ही है।
हमारे समाज में पनप रही गंदी सोच की संख्या ज्यादा है, सुधरी सोच के मुकाबले, घर के बड़े मर्द, चाचा, ताऊ, रिश्तेदारों की बूढ़ी सोच में पहले से ही महिला की कोई इज्जत नहीं है, तो कैसे युवा पीढ़ी इससे अछूती रहे। वक्त आ गया है, कि हम सभी जिम्मेदार नागरिक होने के नाते बड़ा कदम उठाएं।
सड़क, बस, दफ्तर, स्कूल, कॉलेज, रेस्टोरेंट, पार्क कहीं भी, कभी भी कोई बुरी निगाह किसी को घूरती नजर आए तो तुरंत एक्शन लें। ये ना सोंचे की जाने दो, क्या करना। ये ना सोचे की वो बच्ची, लड़की या महिला उनकी कुछ नहीं लगती। बस यदि कोई खराब नजर घूरती नजर आए तो तुरंत उसे पुलिस के हवाले करें या कोई कार्रवाई करें। क्योंकि कब ये घूरती नजर अकेले में दबी से हमला बोल दे जाए कह नहीं सकते। जब हर घूरती नजर पर कड़ी कार्रवाई होगी तो दरिंदें पहले ही कांपने लगेंगे की यदि घूरने पर ये हाल है तो गैंगरेप पर क्या किया जा सकता है। छोटी बच्चियों का मन कोमल होता है, वो नहीं समझ पाती की सामने वाले की नजर में पाप छुपा है और कई बार युवती और महिला भी डर जाती है, की कुछ कहने से उनकी बदनामी ना हो जाए। तो हम सभी जिम्मेदार माता पिता की तरह इन नजरों पर नजर जमाए रखें। याद रखें की हमारा कानून भी कहता है , घूरना भी जुर्म है।
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