भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का सबसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट यानि चंद्रयान-3 मिशन अब अपने लक्ष्य को पाने के लिए तैयार है। चंद्रयान-3 मिशन की उड़ान का इंतजार खत्म होने वाला है।चन्द्रमा पर भारत की मौजूदगी दर्ज़ कराने के लिए स्पेसशिप पूरी तरह तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के दिन और समय को तय कर लिया है। चंद्रयान-3 अभियान को 13 जुलाई 2023 को भारतीय समयानुसार 2:30 बजे इसरो के आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जायेगा। अगर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल रहती है तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं।
इससे पहले ISRO ने चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। चन्द्रयार-2 करीब 2 महीने बाद 7 सितंबर 2019 को चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने की कोशिश में क्रैश हो जाने से इसका विक्रम लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसी के साथ चंद्रयान-2 का 47 दिन का सफल सफर भी खत्म हो गया था। इसके बाद से ही भारत चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी कर रहा है।
क्या है चंद्रयान-3?
चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो चंद्रमा का अध्यनन करना चाहता है। भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सफल लॉन्चिग की थी। इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में भारत को असफलता मिली। अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करके इतिहास रचने की कोशिश में है। चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी। चंद्रयान-3 को तीन हिस्से- प्रोपल्शन मॉड्यूल सिस्टम, लैंडर मॉड्यूल और रोवर के रूप में तैयार किया गया है जैसा की एक पारम्परिक स्पेसशिप में होता है।
दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-2 की ही तरह चंद्रयान-3 को भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ही उतारा जाएगा। इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इस बार चंद्रयान-3 कई अतिरिक्त सेंसर को जोड़ा गया है। इसकी गति को मापने के लिए इसमें एक ‘लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर’ सिस्टम लगाया है। यह सिस्टम पूरे मिशन के दौरान चंद्रयान-3 की स्पीड पर नज़र रखेगा।
चंद्रयान-3 कर चूका है सभी टेस्टिंग पास
चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्चिंग व्हीकल के क्रायोजेनिक फेज को रफ्तार देने वाले क्रायोजेनिक इंजन CE-20 के साथ इसका उड़ान टेंपरेचर टेस्ट भी सफल रहा था। वहीं चंद्रयान-3 के लैंडर की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस और इलेक्ट्रोमेग्नेटिक कम्पेटिबिलिटी (EMI/EMC) टेस्ट भी सफलतापूर्वक पूरा हुआ था।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटेर आयेगा काम
चंद्रयान-2 में प्रोपल्शन मॉड्यूल सिस्टम, लैंडर मॉड्यूल और रोवर इन तीनों मॉड्यूल के साथ एक हिस्सा और महत्वपूर्ण हिस्सा था इसका ऑर्बिटर। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी चन्द्रमा का सफलतापूर्वक कर रहा है, इसलिए इसरो ने चंद्रयान-3 के लिए ऑर्बिटर नहीं बनाया है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ही अब इसरो चंद्रयान-3 से भेजे गए आंकड़ों को इकठ्ठा करने में करेगा।
लांच में GSLV MK-III का होगा उपयोग
चंद्रयान-3 मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस स्टेशन से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानि GSLV मार्क-III से लॉन्च किया जाएगा। यह तीन स्टेज वाला लॉन्च व्हीकल है, जिसका निर्माण इसरो द्वारा किया गया है। देश के इस सबसे हैवी लॉन्च व्हीकल को ‘बाहुबली’ नाम से भी जाना जाता है। GSLV शक्तिशाली रॉकेट है, जो भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में अधिक ऊँचाई तक ले जाने में सक्षम है। GSLV रॉकेटों ने अब तक 18 मिशनों को अंजाम दिया है। स्वदेश में विकसित GSLV Mk-III ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को अपने उपग्रहों को लॉन्च करने हेतु पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया है। GSLV मार्क- III को ही 2019 में चंद्रयान -2 मिशन को चंद्रमा पर लॉन्च करने के लिये उपयोग किया गया था, जो रॉकेट की पहली परिचालन उड़ान थी।
चन्द्रमा की सतह के खुलेंगे राज़
चंद्रयान-3 मिशन के साथ कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को भेजा जाएगा, जिससे लैंडिंग साइट के आसपास की जगह में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकंप और चंद्रमा की सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की जानकारी मिलने में मदद हो सकेगी।
आपको बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने साल 2024 में गगनयान मिशन के जरिए भारत से पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी की है।