आज 8वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है, सुबह से ही ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिल रही है, जो योग की महत्तवता को बयां करती है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आज सुबह कर्नाटक के मैसुरु पैलेस ग्राउंड में 15 हजार लोगों के बीच योग किया। इस वर्ष की थीम ने “Yog For Humanity”। पीएम मोदी ने बताया की योग अब एक पर्व बन गया है। ये अब जीवन का हिस्सा नहीं बल्कि जीवन शैली बन गया है। योग को जीवन में जिसने उतारा वह हर कदम में मजबूत साबित हुआ है। बताते हैं प्राचीन काल से चली आ रही इस शैली के कौन-कौन गुरु हैं-
हमने हमारे धार्मिक ग्रंथों को पढ़ा है टेलीविजन पर नाट्यरुप भी देखा है। जिसमें अक्सर भगवान, राजा, महाराजा ध्यान लगाते नजर आते हैं। योग साधना की ताकत से मनुष्य ईश्वर के दर्शन भी प्राप्त कर लेता था। योग की ताकत को समझने के लिए इसे वक्त देने की जरुरत होती है। एक दिन या चंद महिनों में हम शांति महसूस कर सकते हैं, पर उसके पॉवर को फील करने के लिए समय लगता है।
भगवान शिव
माना जाता है की सबसे पहले योग गुरु शिव हैं, शिव को पहले योगी या आदि योगी का रुप माना जाता है। शिव में मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित है। यही वजह है, की वे अपने कंठ में विष को रोक पाएं। हां आज के आधुनिक काल में इस तरह की साधना संभव नहीं पर रोजना की चिंताओं के बीच खुश रहने की ताकत जरुर हासिल की जा सकती है।
ऋषि वशिष्ठ
ऋषि वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। जो ब्रम्हा जी के मानस पुत्र थे। महर्षि बाल्मिकी जी ने ऋषि वशिष्ठ के नाम पर एक योग वशिष्ठ नाम का ग्रंथ लिखा था। जिसमें योग पर 32000 श्लोक लिखें गए हैं। जिसे समझने के लिए कई लघु कथाएं भी लिखी गई है।
महावीर स्वामी
महावीर स्वामी साढ़े 12 साल तक मौन रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई तरह के कष्ट झेले थे। मौन की ताकत से उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। महावीर स्वामी ने योग को एक नया रुप दिया। जिसमें ये बताया गया है, की बिना बोले खुद का चिंतन कैसे किया जाए, मुख से बीना कुछ बोले अपने चेहरे के भाव से बातें किस तरह की जाए। मौन की ताकत सबसे बड़ी ताकत मानी गई है।
गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ का। अपनी पत्नी और नवजात बालक को छोड़ उन्होंने घर का त्याग कर दिया और स्वंय की खोज करने के लिए निकल पड़े। उन्होंने अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त जैसे कई मुनियों से योग और ध्यान की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने विपश्यना नामक ध्यान विधा की खोज की। जिसका गीता में उल्लेख भी है। गौतम बुद्ध को कोई शिव का रुप कहता है तो कोई भगवान विष्णु का रुप मानता है। वर्षों पुरानी उनकी खोज की गई योग साधना को लोग आज पूरी तरह अपना चुके हैं।