तालिबानी गोली के सामने भी नहीं झुका इनका साहस, शांति की मिसाल बनीं ये

मौज-मस्ती की उम्र में साल 2012 में पाकिस्तान की एक 11 साल की बालिका (Malala) तालिबानी सोच से लड़ना सीख रही थी। उन्होंने अपने अधिकार के लिए ऐसी जंग लड़ी जिसके लिए उन्हें गोली मार दी गई।

जिंदगी और मौत की जंग जीतकर वे फिर खड़ी हुईं और पूरी दुनिया उनका गुणगान करने लगी। ये सब महज उम्र के 17वें साल में उन्होंने जीया। इस बहादुर लड़की (Malala) की काबलियत को हम हर साल सेलिब्रेट करते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफ़ज़ई की।

मलाला यूसुफ़ज़ई 12 जुलाई  को अपना 26वां जन्मदिवस मना रही हैं, जिनके बर्थडे को हर साल “मलाला दिवस” के रुप में मनाया जाता है। इनकी उम्र से बड़ा उनका हौसला रहा है, कम उम्र में ही वे अपने पिता के साथ समाजसेवी कार्यों में जुट गईं थी।

समाजसेवा के कार्य कर रहे हैं पिता

मलाला यूसूफ़ज़ई और उनके पिता लंबे समय से समाजसेवा के कार्य कर रहे हैं। मलाला ने कम उम्र में तालिबानियों की गोली का सामना किया, और उन्हें मजह 17 साल की उम्र में शांति के लिए नोबोल पुरस्कार मिला। कैसे वे जिंदगी की जंग लड़कर वापस लोगों की प्रेरणा बनी जानते हैं…

nobel prize winner malala yousafzai
nobel prize winner malala yousafzai

1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वा प्रांत की स्वात घाटी में मलाला का जन्म हुआ। इनके पिता जियाउद्दीन यूसुफ़ज़ई लड़कियों को शिक्षित कराने के लिए विशेष अभियान चलाते हैं। स्वात घाटी पर साल 2007 से 2009 के बीच तालिबानियों का आतंक जोरों पर था, लड़कियों के स्कूल जाने पर कड़ा प्रतिबंध था। मलाला ने इसी दौरान पाकिस्तान में महिलाओं के लिए शिक्षा को अनिवार्य बनाए जाने की मांग की। जिसके विरोध में तालिबानियों ने 9 अक्‍टूबर, 2012 को मलाला को गोली मार दी।

क्या हुआ था 9 अक्टूबर 2012 को

स्वाट घाटी पर 400 से अधिक स्कूल बंद हो गए, मलाला के पिता उन्हें लेकर पेशावर लेकर आए। जहां उन्होंने नेशनल प्रेस के सामने वो मशहूर भाषण दिया जिसका शीर्षक था- “हाउ डेयर द तालिबान टेक अवे माय बेसिक राइट टू एजुकेशन?” इस वक्त मलाला मात्र 11 साल की थीं।

मलाला (Malala) विरोध के बाद भी स्कूल जाती रहीं। 9 अक्टूबर 2012 को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात घाटी में मलाला बस में सवार थीं, उस दौरान तालिबानी बस में घुस गए और पूछने लगे मलाला कौन हैं? मलाला की साथी सहेलियां चुप रहीं पर उनकी नज़रें मलाला की तरफ पड़ गई। तालिबानी समझ गए और मलाला को सिर पर गोली मारकर चले गए।

मलाला की हालत बहुत गंभीर थी, उनके सिर में गोली मारी गई थी। खून लगातार बह रहा था, बस ड्रायवर बस को सीधे अस्पताल की ओर ले गया, हालात को देखकर उन्हें जल्द से जल्द इलाज के लिए ब्रिटेन ले जाया गया। जहां क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल में मलाला का इलाज शुरु हुआ। ये खबर टीवी और रेडियों में आते ही, देश-विदेश में मलाला के लिए दुआएं की जाने लगीं। सभी यही चाहते थे की उन्हें कुछ ना हो, मलाला करोड़ो लड़कियों की प्रेरणा बन चुकीं थी।

malala
malala yousafzai family

अपनी बहादूरी के लिए मिले कई सम्मान

मलाला ठीक होकर वापस लौटीं। अब तक वे बहुत बड़ी स्टार बन चुकीं थी। इस साहसी लड़की को अपनी बहादूरी के लिए कई बड़े सम्मान मिलने गए।

संयुक्त राष्ट्र नें मलाला के 16वें जन्मदिन पर 12 जुलाई को मलाला दिवस घोषित कर दिया। तब से हर साल हम 12 जुलाई को ये दिवस मनाते आ रहें है। मलाला को 2014 का नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। इसके साथ ही उन्हें अंतरराष्‍ट्रीय बाल शांति पुरस्कार, पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार सहित कई बड़े सम्मान दिए गए।

malala with husband asser malik
malala with husband asser malik

मलाला इस साल अपना 26वां जन्मदिवस मना रही हैं। उनकी बहादुरी और साहस को कभी भूलाया नहीं जा सकता, वे आज भी अपने अभियान में जुटी हुई हैं। मलाला का अर्थ होता है, सक्रिय, हंसमुख, सक्षम। उन्होंने अपने नाम के अर्थ को पूरी तरह सार्थक किया है।

साल 2021 में उन्होंने पाकिस्तान के असर मलिक के साथ शादी की और आज वे अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन बीता रही हैं। वे आज भी पूरी शक्ति से अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए काम कर रही हैं, जिसके लिए वे हमेशा तत्पर रहती हैं।