Tuesday, September 17, 2024
Homeलाइफस्टाइलशादी के बाद शुरु की वकालत और बनीं उच्च न्यायालय की पहली...

शादी के बाद शुरु की वकालत और बनीं उच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश

टैलेंट के मामले में भारतीय महिलाएं किसी क्षेत्र में पीछे नहीं है। आज के समय की बात की जाएं या बीते कल की भारतीय महिलाओं की मौजूदगी हर क्षेत्र में रही हैं। ऐसी ही एक प्रतिभावान व्यक्तित्व की धनी रही हैं भारत की पहली महिला दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश लीला सेठ(Leila Seth)। जो आज के दिन ही 5 अगस्त 1991 को दिल्ली उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनी थीं (Leila Seth)। अक्सर यहीं कहा जाता है की विवाह के बाद महिलाओं का करियर रुक जाता है। पर लीला सेठ (Leila Seth) ने इस भांति को तोड़ दिया। उन्होंने वकालत की पढ़ाई अपनी शादी के बाद ही शुरु की और बन गईं देश के सबसे उच्च पद की न्यायाधीश।

शादी के बाद शुरु की वकालत की पढ़ाई

Leila Seth

लीला सेठ का जन्म 20 अक्टूबर 1930 को लखनऊ में हुआ, वे अपने परिवार में दो बेटों के बाद पहली बेटी थीं। उनके पिता ने इंपीरियल रेलवे सेवा में काम किया था। जब वे 11 वर्ष की हुई तो उनके पिता का निधन हो गया। पिता के जाने के बाद बेटी को शिक्षित करवाने में मां ने कोई कमी ना रखी। 20 वर्ष की आयु में लीला सेठ की शादी हो गई। शादी के बाद वे अपने पति के साथ लंदन शिफ्ट हो गई। यहां 1958 में उन्होंने वकालत की पढ़ाई शुरु की। लीला सेठ देश की पहली ऐसी महिला भी थीं, जिन्होंने लंदन बार एक्जाम में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। वकालत की शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे परिवार के साथ भारत लौटी।

दिल्ली उच्च न्यायालय की पहली न्यायाधीश बनीं

Leila Seth

भारत आने के बाद लीला सेठ ने कोलकाता में वकालत शुरू की। 1959 में उन्होंने बार में दाखिला लिया और पटना फिर दिल्ली मे वकालत की। 1978 में लीला सेठ दिल्ली उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश और 1991 में हिमाचल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उनकी काबलियत के चर्चे आज भी खास है। वे देश की करोड़ो महिलाओं की प्रेरणा हैं। उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी उनकी लिखी बुक “घर और अदालत” में व्यक्त की है, जो हर महिला के लिए बहुत उपयोगी है।

बेटियों के लिए सुनाएं बड़े फैसले

judge of delhi high court

अपने कार्यकाल के दौरान लीला सेठ ने कई बड़े अहम फैसले सुनाएं। वे निर्भया मामले में समिति का हिस्सा बनीं। पूर्व सीजेआई जेएस वर्मा के साथ एक समिति गठन हुई। जो निर्भया मामले के बाद बलात्कार विरोधी कानून बनाने के लिए किया गयी थी। इसी समिति में लीला सेठ की खास उपस्थिती दर्ज हुईं। इसके साथ ही लीला सेठ 1997 से 2000 तक भारत के 15वें विधि आयोग की सदस्य भी रहीं। वे हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन के लिए जिम्मेदार थीं, जिसने संयुक्त परिवार की संपत्ति में बेटियों को समान अधिकार दिया था।

अंतिम समय में भी समाज को दे गईं अनोखा संदेश

female chief justice

जस्टिस लीला सेठ आज हमारे बीच नहीं हैं। उनकी मृत्यु 86 वर्ष की आयु में 5 मई 2017 की रात नोएडा में उनके आवास पर कार्डियो-रेस्पिरेटरी अटैक से पीड़ित होने के कारण हो गई थी। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया। क्योंकि उन्होंने अपनी आंखें व शरीर के अन्य अंग ट्रांसप्लांट और मेडिकल रिसर्च के लिए दान करने की इच्छी की थी, जिसे परिवार ने पूरा किया। लीला सेठ एक बहुत गुणी प्रतिभावान महिला थीं। उनके किए गए कार्यों के प्रति देश और समाज को गर्व है। लीला सेठ के हुनर ने उन्हें कामयाब और आदर्श महिला बना दिया।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments