यदि आप कामकाजी महिला हैं, हर दिन किसी दफ्तर या किसी संस्थान में काम करती हैं। तो आपको भारतीय न्याय संहिता में प्राप्त अपने अधिकारों की पूरी जानकारी रखनी चहिए। BNS (भारतीय न्याय संहिता) के अनुसार हर भारतवासी के पास अधिकार है की वो अपने हक के लिए बात रख रखें। महिलाओं के लिए बीएनएस में कई विशेष कानून अधिकार हैं। जिसकी जानकारी ना होने पर कई बार महिलाएं परेशानियों का सामना करती रहती हैं। तो अपने कार्यस्थल अधिकारों (Womens Workplace Rights) को जानिए और बनिए देश की सशक्त महिला…
भारतीय न्याय संहिता में कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कई कानून और नीतियां बनायी गई हैं। ये कानून महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित और समान वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से बने है। कुछ जरुरी कानूनों और प्रावधानों के बारे में जानकारी हम आपको अह्म देवी के इस आर्टिकल में दे रहे हैं..
कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए बनाएं गए कानून
1. यौन उत्पीड़न (कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ) द प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरासमेंट (पोश) ऐक्ट, 2013
इस कानून का मुख्य उद्देश्य है कार्यस्थल पर महिलाओं (Womens Workplace Rights) को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना। इस कानून के तहत सभी नियोक्ताओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण के लिए एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन करना अनिवार्य है। यह कानून यौन उत्पीड़न की परिभाषा, शिकायत की प्रक्रिया और निवारण के उपायों को स्पष्ट करता है।
2. मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (Womens Workplace Rights)
इस कानून का मुख्य उद्देश्य है गर्भवती महिलाओं को मातृत्व लाभ प्रदान करना। यह अधिनियम गर्भवती महिलाओं को 26 सप्ताह का सवेतनिक अवकाश, प्रसव से पहले और बाद में चिकित्सा लाभ, और कार्यस्थल पर स्तनपान की सुविधा प्रदान करता है।
3. समान वेतन अधिनियम, 1976
इस कानून का मुख्य उद्देश्य है कार्यस्थल पर महिलाओं और पुरुषों को समान काम के लिए समान वेतन प्रदान करना। यह अधिनियम नियोक्ताओं को किसी भी प्रकार के लिंग आधारित वेतन भेदभाव से रोकता है।
4. रोजगार और श्रम कानून , फैक्ट्रीज एक्ट, 1948
इस कानून का उद्देश्य है फैक्ट्रीज में कार्य करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करना। यह अधिनियम महिलाओं के कार्य घंटों को विनियमित करता है और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान करता है।
5. संविदा श्रमिक (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970
इस कानून का मुख्य उद्देश्य है संविदा और ठेका श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना। यह अधिनियम नियोक्ताओं को संविदा श्रमिकों के लिए उचित कार्य स्थितियों और वेतन प्रदान करने के लिए बाध्य करता है।
6. महिलाएं और खदानें माइन्स ऐक्ट, 1952
इस कानून का उद्देश्य है खदानों में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना। यह अधिनियम महिलाओं को खतरनाक खनन कार्यों से बचाने के लिए विशेष प्रावधान करता है।
इन कानूनों और प्रावधानों के माध्यम से BNS (Bhaarateey Nyaay Sanhita) कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। इन कानूनों की जानकारी हर महिला को होना चाहिए ताकि वे एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में फ्री होकर काम कर सके।