दीपावली उमंग और उत्सह का पर्व है, जो सभी के लिए खुशियां लाता है। भगवान राम जब माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपना वनवास पूरा कर अयोध्या वापस आएं तो नगरवासियों की खुशी का ठिकाना ना रहा, हर चेहरे पर मुस्कान, उमंग ही उमंग, आंखों में खुशी के आंसू आएं, अयोध्या में मुख्य द्वार से जहां-जहां संभव हो सका दीप प्रज्वलित किए गए। ये सब लोगों की खुशी का प्रतिक बना। ऐसी खुशी जिसे हम सभी आज तक मनाते आ रहे हैं, ऐसा पर्व जिसमें तन-मन उमंग से भरा हो, कोई पराया ना रहे, हर घर रोशन हो। तो आइए आज फिर प्रभु के आगमन का उत्सव मनाते हैं, शुभ दिवाली के लिए आपको सरल पूजा विधि और शुभ समय भी बताते हैं…
इस वर्ष दीवाली पूजा का खास महत्व माना जा रहा है, जिसकी मुख्य वजह है दीवाली के अगले दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण। ग्रहण अगले दिन है परंतु दीवाली की रात्रि से ही सूतक प्रारंभ हो जाएंगे और जानकारों के अनुसार सूतक में की गई पूजा का खास महत्व होता है। अक्सर हमने देखा भी है, की ग्रहण में मंत्रों का जाप किया जाता है, मंदिरों के पट बंद रहते हैं परंतु घरों में अपने इष्ट देव का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। तो इस दिवाली मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का बहुत लाभ मिलने वाला है सभी को।
शुभ महूर्त
इस वर्ष 24 अक्टूबर को दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 58 मिनट से लेकर 8 बजकर 31 मिनट तक है। तो इस वर्ष गोधूलि बेला में दीवाली पूजा का समय अच्छा है। इसके साथ ही विशेष लाभ के लिए मुहूर्त है 10 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर कुछ मिनट तक, ये समय व्यापार के लोगों के सबसे शुभ है। शुभ समय में ही दिवाली की पूजा का महत्व है, तो समय सारणी का ध्यान रखें और पूजन आरंभ करें।
दिपावली की पूजन विधि
सभी पूजा की तरह ही दिपावली की पूजन की तैयारी करें, भगवान के लिए नए वस्त्र, श्रृंगार साम्रागी, फूल नारियल, भोग तैयार करें। संध्या के शुभ समय में स्नान कर चौक पूर लें उसके ऊपर पटे को रखें, जिस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। इस पर मां लक्ष्मी और गणशे जी की मूर्ति रखें। पटले के सामने जल से भरा कलश जिस पर तेल का दीपक रखें दीपक में 4 बत्ती हो जो चारों दिशाओं पर रोशनी फैलाएं। मां लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन करें सबसे पहले जल छिड़के, तिलक करें फूल चढ़ाएं, धूप बत्ती करें, भोग चढ़ाएं। मां लक्ष्मी की पूजा करते समय आप अपने घर में रखे हर जेवर की पूजा करें, अपने धन भंडार की पूजा करें। धनतेरस पर लायी हुई वस्तु मां को चढ़ाएं। लक्ष्मी जी को कमल के फूल और गणेश भगवान को पीले फूल चढ़ाएं। गणेश भगवान को हल्दी की गांठ चढ़ाएं, मां लक्ष्मी की पूजन में कोड़ी का खास महत्व है, तो इसे में शामिल करें। इसके साथ ही मां लक्ष्मी और गणेश भगवान के मंत्र का जाप करें। पूजन के पहले संकल्प जरुर लें। परिवार के साथ पूजन के बाद मां लक्ष्मी की आरती करें, और अंत में शंखनाद करें। इसके बाद घर की सभी दिशाओं में दीप प्रज्वलित करें। घर के मंदिर से लेकर हर कमरों में दिवाली की रोशनी करें। दिवाली की पूजन में दीप का बहुत महत्व है, तो इस बात का खास ध्यान रखें की एक दीप पूरी रात पूजन वाली जगह पर जलता रहे।
ये छोटी से साधारण पूजा जरुर हैै पर लाभकारी है। सच्चे मन से प्रेमपूर्वक इस पर्व का आनंद लें। अपने साथ अपने आस-पास के लोगों के जीवन में भी दीपों की रोशनी कायम करें, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश से ऐसी कामना करें की सभी सुखी रहें । दीवाली के दिन आतिशबाजी करते समय सुरक्षा का खास ख्याल रखें। शुभ दिवाली ,मंगलमय दिवाली।