काम के साथ सेहत पर ध्यान देना भी जरुरी है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में थोड़ा समय खुद के लिए निकालकर अपना ध्यान जरुर रखें , स्वस्थ्य लाइफ (Healthy Lifestyle) की ओर एक कदम जरुर बढ़ाएं। गलत खानपान और सुस्त जीवनशैली के कारण कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं होने लगती हैं। बीमारियों से बचाने के लिए सही खानपान बहुत जरूरी है।
आयुर्वेद में ऋतुओं के अनुसार भोजन…(Healthy Lifestyle)
सही खानपान कैसा हो ये हमारे आयुर्वेद में अच्छे से बताया गया है। जिनका पालन करके शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। पौष्टिक भोजन खाने के साथ आपको इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि भोजन को कैसे खाया जाए। आयुर्वेद के अनुसार, जो लोग सही तरीके से खाना खाते हैं, वे स्वस्थ और फिट (Healthy Lifestyle) रहते हैं। तो जानते है आयुर्वेद में मौसम के अनुसार कैसा होना चाहिए खानपान।
हिन्दी माह के अनुसार भोजन ऋतुओं को ध्यान में रखकर करना चाहिए। जैसे यदि मौसम ठंड का है तो ठंडा भोजन ना करें, गर्मी है तो गर्म तासीर वाला भोजन ना करें। चलिए आयुर्वेद इसे विस्तार से समझते हैं…
चैत्र (मार्च-अप्रैल)
इस महीने में चने का सेवन करे क्योकि चना आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है। साथ ही चना कई बीमारियों से भी बचाता है। चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 – 5 कोमल पतियों का उपयोग भी करना चाहिए। इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते है। नीम की पतियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते है।
वैशाख (अप्रैल – मई) (Healthy Lifestyle)
वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेल का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करे क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है।
ज्येष्ठ (मई-जून)
भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है। इस महीने में ठंडी छाछ , लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजो का सेवन न करे। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है।
आषाढ़ (जून-जुलाई)
आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला, बथुआ आदि का उपयोग करे। आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
श्रावण (जूलाई-अगस्त)
श्रावण के महीने में हरड का इस्तेमाल करना चाहिए। श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करें एव दूध का इस्तेमाल भी कम करे। भोजन की मात्रा भी कम ले – पुराने चावल, पुराने गेंहू, खिचड़ी, दही एवं हलके सुपाच्य भोजन को अपनाएं।
भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर)
इस महीने में हलके सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल कर वर्षा का मौसम् होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करे। इस महीने में चिता औषधि का सेवन करना चाहिए।
आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर)
इस महीने में दूध , घी, गुड़ , नारियल, मुन्नका, गोभी आदि का सेवन कर सकते है। ये गरिष्ठ भोजन है लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते है क्योकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है।
कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर)
कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मुली आदि का उपयोग करे। ठंडे पेय पदार्थो का प्रयोग छोड़ दे। छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट ज्यूस आदि का सेवन न करे , इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।
अगहन (नवम्बर-दिसम्बर)
इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओं का प्रयोग न करे।
पौष (दिसम्बर-जनवरी)
इस ऋतू में दूध, खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लाडू, गुड़, तिल, घी, आलू, आंवला आदि का प्रयोग करे, ये पदार्थ आपके शरीर को स्वास्थ्य देंगे। ठन्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का उपयोग न करें।
माघ (जनवरी-फ़रवरी)
इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते है। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
फाल्गुन (फरवरी-मार्च)
इस महीने में गुड का उपयोग करे। सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना ले। चने का उपयोग न करे।
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