फादर्स भर रहे पेरेंटिंग में नए रंग, बेझिझक कर रहे बच्चों का हर काम

महिलाओं के लिए घर छोड़कर काम पर जाना आसान होता है, जब तक की उनपर बच्चों की जिम्मेदारी ना हो। बच्चा होने के बाद वे अपने काम पर जाने पर झिझकती हैं। मां (Father’s Day) के अपनी संतान के लिए अलग कर्तव्य होते हैं, जिन्हें छोड़कर वो नौकरी पर ध्यान देने में कतराती है। पर आज समय बदल रहा है, जिसमें न्यू मॉम्स के साथ कोई कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने को तैयार है। जिनकी तसल्ली पर वे यकिन रखने लगी है।

ये कोई और नहीं बच्चे के पिता (Father’s Day) हैं। इस नए पैरेंटिंग दौर में ये बहुत देखा जा रहा है, की मदर्स काम पर आसानी से लौट सके इसके लिए फादर्स बहुत हेल्प कर रहे हैं। इस तालमेल वाली पैरेटिंग के फायदे भी बहुत देखे जा रहे हैं, इसमें बच्चें की ग्रोथ अच्छी हो रही है, और पिता-संतान (Father’s Day) के बीच रिश्ता मजबूत बन रहा है। आज फादर्स डे पर हम इन्हीं फादर्स (Father’s Day) को बधाईयां देंगे जो अपने कर्तव्य में नए रंग भर रहे हैं और संतान के साथ गहरा रिश्ता बना रहे हैं….

मिलजुलकर हो रही बच्चों की परवरिश 

पिता (Father’s Day) कर रहे पेरेंटिंग में मदद

पिता आज के समय के हो या कल के वे कभी अपनी तकलीफ को बयां नहीं करते। वे संतान के लिए हर संभव प्रयास कर उनकी पूर्ति करते ही रहते हैं। पर पहले के समय में परिवार बड़ा होता था, जहां पिता के काम पर जाने के बाद बच्चों को संभालने के लिए परिवार के अन्य सदस्य होते थे।

कई जगह महिलाएं गृहकार्य ही करती थीं, क्योंकि उतनी महंगाई नहीं थी। एक जन की कमाई से घर चल जाता था, पर आज पुरुष के साथ स्त्री भी ये जिम्मेदारी ले रही हैं।

ऐसे में संतान को छोड़कर काम करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। पर बच्चों के फादर्स के एक कदम आगे बढ़ाते ही ये मुश्किल खत्म हो जाती है। आज शिफ्ट में काम कर माता-पिता मिलजुलकर बच्चें का ध्यान रखते हैं।

मदर्स के सपनों को उड़ान दे रहे हैं फादर्स 

मेट्रो सिटीज में बच्चों को मेड या आया के भरोसे छोड़ना किसी माता-पिता को पसंद नहीं होता है। फिर भी ये कदम उठाना पड़ता है, स्त्री भी अपने भविष्य को संवारने की हर कोशिश करती है।

बच्चें के बेहतर भविष्य के लिए माता-पिता मिलजुलकर काम करते हैं। ऐसे में आज के फादर्स इन ऑफिस गोइंग मदर्स के लिए बहुत हेल्पफुल साबित हो रहे हैं। ये बच्चें की हर छोटी-छोटी बातों पर ध्यान रख रहे हैं। संतान को मां की तरह प्यार कर रहे हैं। पहले भी पिता अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखते थे, पर ये माता के साथ मिलकर होता था।

बदलते समय के साथ बदल रहे हैं पिता

आज के समय में ऐसा बिल्कुल नहीं रहा है। पत्नियां अपने पतियों के भरोसे बच्चों को छोड़कर बेझिझक काम में मन लगा रही हैं और बच्चों की जिम्मेदारी पिता ले रहे हैं। कहते हैं ना हर पुरुष की कामयाबी के पीछे एक महिला का हाथ होता है, वैसे ही अपने सपनों को उड़ान देती इन मदर्स के पीछे इन फादर्स का साथ नज़र आ रहा है।

बेझिझक पिता (Father’s Day) कर रहे बच्चें का हर काम

 

बच्चों को भूख कब लगती है, उसे निंद कैसे आती है। उसे क्या पसंद है क्या नहीं। इन सब बातों का पिता बहुत अच्छे से ध्यान रख रहे हैं। वे माता के साथ मिलकर इन मुद्दों पर चर्चा करते हैं। काम के समय के अनुसार एक दिन पहले योजना तैयार करते हैं कि अगले दिन उन्हें क्या-क्या करना है बच्चें के साथ। इसके साथ ही बच्चों को नहलाना, ब्रश करवाना, खाना खिलाना, टॉयलेट ट्रेनिंग जैसे हर काम पिता बेझिझक कर रहे हैं।

माता के साथ पिता का समय भी बहुत जरुरी है संतान के लिए 

बड़े परिवार में पिता से हमेशा बच्चों की दूरियां रहती थी। जिम्मेदारियों में बंधा पिता मजबूर था। वो चाह कर भी अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते थें। पर आज के पिताओं को ये अवसर मिल रहा है और वे इसका खुली बाहों से स्वागत कर रहे हैं। संतान के लिए माता-पिता दोनों का स्नेह बेहद जरुरी होता है। ये बातें अक्सर आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी बताई जाती हैं। माता यदि पूरे समय गृह कार्य में व्यस्त रहे या काम पर जाएं तो बच्चें से बात कौन करेगा। ऐसे में यदि पिता बच्चें के साथ रहते हैं तो संतान खुलकर अपने विचार व्यक्त करने लगती है।

वुमेन को भी पसंद हैं ऐसे फादर्स

 

सपनों को पूरा करने की चाहत सभी की होती है, फिर चाहे वो स्त्री हो या पुरुष। विवाह और संतान होने के बाद यदि स्त्री का करियर रुक जाएं तो वो अंदर ही अंदर खोखली होती जाती है। पति के साथ से महिलाएं सब कुछ कर सकती हैं। ये साथ ऐसा जिसमें संतान की जिम्मेदारी दोनों की हो, और इसमें ये आज के समय के फादर्स कामयाब हैं। जो पहले के जैसे ही पिता है बस उन्होने और भी नई चीजों को अडॉप्ट कर लिया है। उन सभी फादर्स को पितृ दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।