“एकादशी” एक हिन्दू धार्मिक पर्व है जो हर मास के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की 11वीं (एकादशी) तिथि को मनाया जाता है। इस दिन (Ekadashi Vrat ) विशेष रुप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी का अर्थ होता है “ग्यारह” या “एकादश”। इस दिन भक्त उपवास (व्रत) रखते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग है एकादशी व्रत
इस एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat ) को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस दिन विशेष रुप से भगवान विष्णु के अवतार, भगवान श्रीकृष्ण ने उपवास रखा था। इसके अलावा, एकादशी का व्रत करने से मानव जीवन शुभ और पुण्य से भरा रहता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी को व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूरे भारत देश में एकादशी का उत्सव विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर इसे ‘हरिनामोत्सव’ भी कहा जाता है।
ग्यारस की पौराणिक मान्यता (Ekadashi Vrat )
वैसे तो एकादशी (Ekadashi Vrat ) की अनेक कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें मनुष्य को अलग-अलग परिस्थिति में अपने धर्म के पालन करने के बारें में बताया गया है। यही अनेक पौराणिक कथाएं एकादशी के महत्व को सार्थक भी बनाती हैं। इन्ही कथाओं में सबसे प्रमुख कथा है राजा हरिश्चंद्र की। जिसमें भगवान विष्णु ने एकादशी को अपने प्रिय भक्त राजा हरिष्चंद्र के पुत्र पहलवान कामसेन को बचाने के लिए अपने वाहन गरुड़ के साथ आकर उनकी सहायता की थी।
कैसे रखा जाता है व्रत
इस दिन (Ekadashi Vrat ) भक्तजन विशेष रुप से उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस दिन को विशेष भोजन नहीं किया जाता और सात्विक आहार (फलाहार) की परंपरा होती है। भक्तजन रात्रि को जागरण करते हैं और भगवान के नाम का जाप करते हैं। इसके अलावा, इस दिन दरिद्र और असहाय लोगों को दान देने का भी विशेष महत्व होता है। एकादशी व्रत का आरंभ ब्रह्म मुहूर्त से शुरु होता है। इसलिए व्रत रखने से पहले एकादशी का संकल्प लें, जिसमें आप व्रत रखने का उद्देश्य और भगवान विष्णु की पूजा करने का संकल्प करें।
व्रत की पूजन साम्रगी
इस व्रत (Ekadashi Vrat ) की पूजा के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र, तुलसी के पत्ते, दीप, गंगाजल, फल, फूल, अक्षता, कुमकुम, चंदन, रोली, नैवेद्य (फल, चावल, दही, घी, शक्कर), ताम्बूल, आरती की सामग्री, धूप, कपूर इत्यादि को तैयार करें। पूजा करते समय सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान करा कर शुद्ध करें। इसके बाद उनकी तुलसी पत्तों, चंदन, कुमकुम, अक्षता, फूल, फल, दीप, धूप, कपूर, नैवेद्य, ताम्बूल आदि से विधि अनुसार पूजा करें।
एकादशी से जुड़ी हैं कई कथाएं
वैसे तो प्रत्येक माह में पड़ने वाली एकादशी (Ekadashi Vrat ) की एक अलग कथा होती है। जिसका श्रवण व्रतधारी को करना चाहिए। परन्तु एकादशी के दिन भगवद् गीता या विष्णु पुराण की कथा श्रवण करना भी उत्तम है। एकादशी उपवास को द्वादशी को सूर्योदय के पूर्व तक रखें और उसके बाद विधिवत तोड़ें। इस प्रकार, एकादशी व्रत और पूजा को भक्ति और श्रद्धाभाव से करना चाहिए।
भक्ति का मार्ग जो मोक्ष प्राप्ति कराने में है सहायक
ये व्रत मात्र एक साधारण व्रत नहीं अपितु एकादशी (Ekadashi Vrat ) को उत्सव की तरह मनाया जाता है। यह हिन्दू समाज में एक अद्वितीय धार्मिक और सामाजिक आयोजन है। जो लोगों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करता है। यह पर्व सात्विक जीवनशैली को प्रोत्साहन करता है और समाज को सामंजस्य, दानशीलता, और भक्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।