Indira Ekadashi – पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण समयावधि है जो आश्विन मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक चलती है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।साथ ही पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
यह अवधि आत्मा की शांति, मोक्ष, और पितरों के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पितृपक्ष के दौरान परिवार के सदस्य एकत्र होकर अपने पितरों की याद में भोजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
जिस प्रकार पितृ पक्ष को हिन्दू धर्म में विशेष माना गया है, उसी प्रकार पितृ पक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी (Ekadashi) भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह एकादशी भगवान विष्णु के साथ-साथ पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए भी बहुत ही उत्तम मानी जाती है। ऐसे में आप इस तिथि पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं।
मिलता है सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
इंदिरा एकादशी (Ekadashi) के लेकर शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि इस तिथि पर पितरों के निमित्त दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
साथ ही इस दिन एक काले कपड़े में एक मुट्ठी दाल काले तिल बांधकर उन्हें घर की दक्षिण दिशा में रख दें। अब इन्हें द्वादशी तिथि के दिन किसी गाय को खिला दें। इस उपाय को करने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं।
करें विष्णु सहस्रनाम (Ekadashi) स्तोत्र का पाठ
पीपल के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है। ऐसे में इंदिरा एकादशी पर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जरूर जलाएं और पीपल की 11 बार परिक्रमा करें।
इसके साथ आप वृक्ष के नीचे बैठकर विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। ऐसा करने से पितरों की दया दृष्टि आपके और परिवार के ऊपर बनी रहती है। इंदिरा एकादशी का व्रत करने से भी पितरों को शांति की प्राप्ति होती है
भगवान विष्णु के इस मंत्र का करें जाप
पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए इंदिरा एकादशी पर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का कम-से-कम 108 बार जाप करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और साधक के सभी कार्य बनने लगते हैं।
पितृ पक्ष की एकादशी पर जरूरतमंदों और गरीबों में घी, दूध, दही और चावल का दान करें। इससे आपको पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
इंदिरा एकादशी (Ekadashi) का व्रत
पितृपक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन साधकों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना चाहते हैं। यह व्रत संतान को अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक माध्यम है।
व्रत की विधि
- स्नान और पूजन – इस दिन प्रातः स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और पितरों की पूजा की जाती है।
- व्रत का संकल्प – साधक को अपने पितरों के नाम का संकल्प करना चाहिए और पूरे दिन उपवास रखना चाहिए।
- तर्पण और श्राद्ध – इस दिन तर्पण का विशेष महत्व है। श्रद्धालु को ब्राह्मणों को भोजन कराने और पितरों के नाम से तर्पण देना चाहिए।
- भगवान का पूजन – इस दिन भगवान विष्णु का विशेष पूजन किया जाता है, जिसमें उनके मंत्रों का जाप और पूजा-अर्चना शामिल होती है।
पितृपक्ष एकादशी का फल
इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से साधकों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन किया गया व्रत और तर्पण पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।इस व्रत को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितरों की कृपा से परिवार में सुख और समृद्धि आती है