अंबेडकर जयंती विशेष: 20वीं शताब्दी में ही इन्होंने फेमिनिज्म को दिलाई उड़ान

भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर डाक्टर भीमाराव अंबेडकर जी की आज हम 133वीं जयंती मना रहे हैं। इनके चाहने वालों की संख्या आज भी उतनी ही है जो उनके होने पर थी। समाज और लोगों के प्रति इनका अपार प्रेम ही था जो इन्हें महापुरुष बना गया। बाबा साहेब ने हमारे संविधान को कुछ इस तरह लिखा की आज तक हम उसे फॉलो कर रहे हैं। बचपन से वे खुद सामाजिक भेदभाव को झेलते आ रहे थे, यहीं वजह थी उन्होंने इन कुरितियो से लड़ने की ठान ली। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई आंदोलन लड़े। हम हर साल 14 अप्रैल को उनकी जयंती मनाते हैं, उनके किए सामाजिक कार्यों को याद करते हैं। जिसकी खास वजह है, उनका लोगों के प्रति अपार स्नेह और सहानभूति। उन्होंने जातिवाद को खत्म किया, और एकता का मंत्र हमें दिया सीखाया, उन्होंने समाज को बताया एकता से बढ़कर कुछ नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बाबा साहेब की जयंती पर उन्हें नमन किया। दिल्ली संसद भवन के लॉन में आयोजित डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133 वीं जयंती समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।

भारत देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी ने बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर उन्हें प्रणाम किया। राष्ट्रपति जी ने संसद भवन में स्थित बाबा साहेब की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए।

महिलाशक्ति को बढ़ावा देने के में विशेष योगदान

बाबा साहेब नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कई कार्य कर चुके हैं, जिनका जिक्र आज होता है। आज फेमिनिज्म को लेकर कई लोग बात करते हैं, पर इस फेमिनिज्म का जिक्र बाबा साहेब 20वीं शताब्दी में ही कर चुके हैं। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने पर विशेष जोर दिया।

महिलाओं को दिया उपहार 

जिस दौर में महिलाओं को नौकरी करने की बात का जिक्र तक नहीं होती थी, उस दौर में बाबा साबेह अंबेडकर ने महिलाओं को मैटरनिटी लिव दिलाई। बाबा साहेब को महिलाओं से जुड़ी हर जरुरतों का दूरदर्शिता अंदाजा रहता था। यही वजह थी की उन्होंने पहले ही इस लिव को कानूनी लागू करवा दिया।

माताओं के शिक्षित होने के प्रभाव को समझाया

बाबा साबेह  ने 1913 में न्यूयार्क में एक भाषण में कहा था  की “मां–बाप बच्चों को जन्म देते हैं, कर्म नहीं देते। मां बच्चों के जीवन को उचित मोड़ दे सकती हैं।

बाबा साहेब का महिला से जुड़ा प्रसिद्ध कथन 

बाबा साहेब अंबेडकर के कई प्रचलित कथनों में से एक है ‘मैं किसी समाज की तरक्की इस बात से देखता हूं कि वहां महिलाओं ने कितनी तरक्की की है।” महिलाओं के उत्थान के लिए बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर कितने गंभीर थे। उनके इस कथन से ही पता चलता है।

बाबा साहेब ने महिलाओं को इस काबिल पहले ही बना दिया है, कि वे समाज के हर कार्य में अहम भूमिका निभा सकती हैं। बस महिलाओं को उन मिलें हक के बारे में जानकारी रखना है। चाहे शिक्षा का अधिकार हो या स्वंत्रता पूर्वक जीने का अधिकार। ये सभी देश के हर वर्ग के लिए एक समान हैं।