सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल “कोस्ट गार्ड में ऐसा क्या खास, जो महिलाएं नहीं हो सकतीं?”

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इंडियन कोस्ट गार्ड में महिला अफसरों की परमानेंट कमीशन नहीं देने के मामले में सुनवाई हुई। जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया । चीफ जस्टिस ने कहा “आपका रवैया इतना पितृसत्तात्मक क्यों है? केंद्र के इस अप्रोच की खिंचाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) में महिला अफसरों को अपने पुरुषों के बराबर क्यों नहीं मान सकता, जैसा कि सेना, नौसेना और वायु सेना में होता है”।

क्या है मामला  

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जिस मामले पर सोमवार को सुनवाई हुई उसकी याचिकार्ता हैं, प्रियंका त्यागी। प्रियंका त्यागी को इंडियन कोस्ट गार्ड में स्थायी प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। त्यागी ने सहायक कमांडेंट के पद पर शॉर्ट सर्विस अप्वाइनमेंट यानी SSA अधिकारी के रूप में इंडियन कोस्ट गार्ड में पायलट के रुप में 14 साल काम किया है। इस दौरान त्यागी ने समुद्र में 300 से अधिक लोगों की जान बचाई, 4,500 घंटे उड़ान भरी। वे पूर्वी क्षेत्र में समुद्री गश्त करने के लिए डोर्नियर विमान पर पहली बार सभी महिला चालक दल का हिस्सा थीं। इन सभी उपलब्धियों के बाद भी उन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया।

CJI की सुनवाई में बबीता पुनिया मामले का जिक्र  

प्रियंका त्यागी मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बबीता पुनिया मामले का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “आप सभी ने अभी तक हमारा बबीता पुनिया जजमेंट नहीं पढ़ा है, आप इतने पितृसत्तात्मक (Patriarchial) क्यों हैं कि, आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड क्षेत्र में नहीं देखना चाहते?

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने ये भी कहा की “आपके पास नौसेना में महिलाएं हैं, तो कोस्ट गार्ड में ऐसा क्या खास है, जो महिलाएं नहीं हो सकतीं? हम पूरा कैनवास खोल देंगे। वह समय गया जब हम कहते थे कि महिलाएं कोस्ट गार्ड में नहीं हो सकतीं, महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं, तो महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती हैं।

प्रियंका त्यागी के मामले पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। जिसके बाद ही मामले पर कोई निर्णय आएगा।