ब्लेयर हाउस वो हाउस है जो करीब दो सदियों से अमेरिका की राजनीति, कूटनीति और सांस्कृतिक इतिहास का गवाह रहा है। PM नरेन्द्र मोदी पहली बार अमेरिका के स्टेट विजिट पर हैं। इस खास मौके पर उन्हें 70 हजार स्क्वायर फीट एरिया में फैले इसी आलीशान ब्लेयर हाउस में ठहराया जाएगा। PM नरेंद्र मोदी से पहले यहां ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से लेकर जापान के सम्राट आकाहितो भी ठहर चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जब किसी विदेश मेहमान को खुद न्योता देकर बुलाते हैं तो उन्हें यहीं ठहराया जाता है। इसके अलावा जब भी कोई अमेरिकी राष्ट्रपति चुना जाता है तो व्हाइट हाउस में जाने से पहले वो यहीं ठहरता है। ऐसे में इसकी अहमियत को समझा जा सकते हैं और इसे करीब से जानना भी जरूरी हो जाता है।
क्या है ब्लेयर हाउस का इतिहास ?
ब्लेयर हाउस की बात की जाए तो इस बहतरीन गेस्ट हाउस का निर्माण सन 1824 में अमेरिकी सेना के आंठवें सर्जन जनरल जोसेफ लोवेल ने अपने निजी घर के तौर पर करवाया था। बाद में सन 1836 में अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन के सलाहकार फ्रैंसिस ब्लेयर ने इसे खरीद लिया। जिसके बाद इस आलिशान गेस्ट हॉउस नाम ब्लेयर हाउस पड़ गया। बाद में साल 1942 में अमेरिकी सरकार ने इसे खरीदा और इसके बाद से ही यह जगह अमेरिकी सरकार की विदेश नीति का बेहद खास हिस्सा बन गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति के दूसरे गेस्ट हाउस कौन से हैं ?
ब्लेयर हाउस के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति के अधिकार में कई गेस्ट हाउस भी हैं। जहां वे चाहें तो किसी विदेशी मेहमान को ठहरा सकते हैं या अपनी छुट्टियां मना सकते हैं। इसमें शामिल है कैम्प डेविड हाउस, वन ऑब्जरवेटरी सर्किल, द प्रेसिंडेंटियल टाउन हाउस और ट्रोब्रिज हाउस।
वैसे खास बात ये भी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्लेयर हाउस में दूसरी बार ठहर रहे हैं। लेकिन इस बार मामला खास इसलिए है क्योंकि वे पहली बार स्टेट विजिट पर आ रहे हैं। अब ये भी जान लेते हैं ऑफिशियल स्टेट विज़िट होता क्या है?
क्या होता है ऑफिशियल स्टेट विज़िट ?
ऑफिशियल स्टेट विज़िट की पहल किसी भी देश के प्रमुख यानी हेड ऑफ स्टेट के ज़रिए ही की जाती है। इसे किसी व्यक्ति या नेता के दौरे की बजाय एक देश के दौरे के तौर पर समझा जाता है। अमेरिका में होने वाली ऑफिशियल स्टेट विज़िट हमेशा अमेरिकी राष्ट्रपति के न्योते पर ही आयोजित होती है। जैसा कि इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह न्योता भेजा है।
जो बाइडन के लिए क्यों खास है PM मोदी ?
अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे के डेटा के अनुसार भारतीय मूल के कम से कम 4.1 मिलियन लोग अमेरिका में रहते हैं, जो अमेरिकी आबादी का 1.3 प्रतिशत है और मैक्सिकन अमेरिकियों के बाद अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा आप्रवासी समूह है। पेंसिल्वेनिया, फ्लोरिडा और ओहियो जैसे कई प्रमुख राज्यों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की अच्छी खासी उपस्थिति है, जो राष्ट्रपति पद का फैसला करने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। लगभग 1.8 मिलियन भारतीय अमेरिकी हैं, जिनके वोट एरिजोना और विस्कॉन्सिन जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण हैं। यह भारतीय-अमेरिकी वोटर चुनाव को काफी प्रभावित कर सकते हैं। राजनीतिक रूप से, भारतीय-अमेरिकियों का झुकाव डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर रहा है, लेकिन हाल के दिनों में रिपब्लिकन के समर्थन में भी लोगों को देखा गया है।
बाइडन प्रशासन में प्रमुख पदों पर हैं भारतीय
मौजूदा बाइडन प्रशासन में प्रमुख पदों पर भारतीय-अमेरिकियों का उच्च प्रतिनिधित्व देखने को मिल रहा है। पूरे प्रशासन में वरिष्ठ पदों पर 130 से अधिक भारतीय अमेरिकी हैं, जिनमें से कई उच्च रैंकिंग वाले व्हाइट हाउस में पदों पर सेवारत हैं, जिनमें पहले कभी अप्रवासियों का कब्जा नहीं हुआ करता था। विशेषज्ञों का मानना है कि कमला हैरिस का उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। कमला हैरिस की जड़ें भारत के तमिलनाडु राज्य से जुड़ी हुई है।