Thursday, September 19, 2024
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अंदल उत्सव आज, श्रीविल्लिपुथुर मंदिर में एकत्रित हुए हजारों श्रद्धालु

तमिलनाडु का 10 दिनों तक चलने वाला प्रसिद्ध त्यौहार अंदल जयंती (Andal Jayanthi) उत्सव का आज अंतिम दिन है। जिसे लेकर तमिलनाडु के श्रीविल्लिपुथुर मंदिर में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान सकड़ों को सुंदर तरिके से सजाया गया है, मंदिर का फूलों से सुंदर श्रृंगार किया गया है। ये उत्सव (Andal Jayanthi) तमिलनाडु के हर विष्णु भगवान के मंदिर में मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार (Andal Jayanthi) का अंतिम दिन बहुत शुभ माना गया है जिसे आदिपुरम कहा जात हैं।

क्या है अंदल उत्सव?

इस उत्सव को मनाने की मुख्य वजह हैं देवी अंदल। ऐसा माना जाता है की 10वीं सदी में तमिलनाडु में एक देवी ने जन्म लिया था जिनका नाम था अंदल। वे भगवान विष्णु की बहुत ज्यादा भक्ति करती थीं, भगवान रंगनाथ के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति के लिए वे प्रसिद्ध हुई। विष्णु भगवान के प्रति उनकी भक्ति ने उन्हें देवी का दर्जा दिलाया है। देवी अंदल ने भगवान की भक्ति में ‘एं थिरुप्पवाई और नाच्सियर तिरुमोली’ धार्मिक रचना लिखी हैं। थिरुप्पवाई कुल 30 छंदों और नाच्सियर तिरुमोली कुल 143 छंदों की धार्मिक रचनाएं हैं।

Andal Jayanthi

कैसे मनाया जाता है उत्सव ?

देवी अंदल भगवान विष्णु की भक्ति में इस तरह लीन हो गई की उन्होंने 15 साल की उम्र में ही ये तय कर लिया था की वे भगवान विष्णु के अतिरिक्त किसी अन्य से विवाह नहीं करेंगी। एक दिन अंदल के पिता के पास कुछ लोग पहुंचे और उन्होंने ये बताया की उनके सपने में भगवान रंगनाथ आए और अंदल को दुल्हन बनाकर, उनके मंदिर ‘श्रीरंगम’ में लाने को कहा है। तमिलनाडु में श्रीरंगम मंदिर भगवान रंगनाथ का बहुत ही पवित्र मंदिर हैं। जब देवी अंदल दुल्हन के रुप में श्रीरंगम मंदिर में पहुंची, तो वे प्रकाश रुप में बदल कर भगवान विष्णु की प्रतिमा में विलीन हो गईं। इस तरह ये मान्यता भी प्रचलित हो गई की इस दिन भगवान रंगनाथ और अंदल का विवाह हुआ था।

Andal Jayanthi

देवी अंदल को मां लक्ष्मी का ही रुप माना जाता है, यही वजह है की 10 दिनों तक मां लक्ष्मी और विष्णु की पूजा की जाती है। अंतिम दिन भक्ति भाव से पूजा करने से अविवाहित लड़कियों का मनचाहा वर मिलता है। देवी अंदल और भगवान रंगनाथ के विवाह का यह उत्सव तमिलनाडु के हर मंदिर में धूम-धाम से मनाया जा रहा है। महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना के साथ यहां उपस्थित होती है और कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की इच्छा के साथ पूजा करती हैं। इस मंदिर में देवी अंदल को श्रृंगार की हर सामग्री अर्पित की जाती है। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के आर्शिवाद के साथ विवाह बंधन को और मजबूत बनाया जाता है। इस मंदिर में विवाहित जोड़े एक साथ उपस्थित होते हैं।

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