साल 2023 भगवान शिव की प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरु होने जा रही है। जिसे लेकर सुरक्षा दलों ने पूरी तैयार कर ली है। यात्रा के शुरुआती पॉइंट से लेकर अंतिम छोर तक कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इस वर्ष अमरनाथ यात्रा सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ और आईटीबीपी (इंडो तिब्बत बॉर्डर) दोनों मिलकर कर रही है।
#WATCH via ANI Multimedia | जम्मू-कश्मीर: अमरनाथ यात्रा शुरू करने के लिए तैयार श्रद्धालु, देखने को मिल रहा गज़ब का उत्साहhttps://t.co/vD7lj36Ire
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 29, 2023
इस साल अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई 2023 को शुरु हो रही है और 31 अगस्त को खत्म होगी। यात्रा के पहले दिन 1 जुलाई को शनि प्रदोष व्रत है और अंतिम दिन समापन में सावन पूर्णिमा रहेगी। ये पूरी यात्रा 62 दिनों की होगी, दो महीने तक चलने वाली इस यात्रा के लिए पंजीकरण 17 अप्रैल 2023 को शुरु हो गए थे। जिसे लेकर गृह मंत्रालय में अंतिम उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती पर योजना तैयार की गई।
अमरनाथ यात्रा के लिए CRPF पूरी तरह से तैयार है। यात्रा के लिए चप्पे-चप्पे पर फोर्स और पुलिस की तैनाती की गई है। हमारे साथ डॉग स्क्वॉड भी है। यात्रियों के साथ CRPF की बड़ी टूकड़ी जाएगी। बाइक दस्ता भी इनकी सुरक्षा करेगा। रास्तों को पूरी तरह से कवर किया गया है। ड्रोन का भी इस्तेमाल… pic.twitter.com/nkXraFgrMb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 29, 2023
“अमरनाथ” क्यों कहा जाता है इस यात्रा को
अमरनाथ यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व बताया गया है। जिसमें बाबा बर्फानी के दर्शन करने हर साल लाखों लोग आते हैं। माना जाता है की बर्फानी धाम गुफा में भगवान शिव जी और माता पार्वती के अमृत्व का रहस्य छुपा हुआ है। यही वजह है की इसे अमरनाथ कहा जाता है।
मोक्ष प्राप्ति का है महत्व
अमरनाथ में भगवान शिव एक बर्फ-लिंगम यानी बर्फ के शिवलिंग के रुप में विराजमान दिखाई देते हैं। मान्यता है जो शिव के इस स्वरुप के दर्शन कर लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है। श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शिवलिंग पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है। अमरनाथ में माता पार्वती का शक्तिपीठ है, जो उनके 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है की यहां देवी भगवती का कंठ गिरा था।