अपने और अपनी बच्चियों के लिए जाने सर्वाइकल कैंसर को

हर वर्ष जनवरी को सर्वाइकल कैंसर जागरुकता माह के रुप में मनाया जाता है। महिलाओं में होने वाले इस कैंसर से हर साल हजारों मौतें हो रही है, ब्रेस्ट कैंसर के बाद ये रोग बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। जबकि इसकी रोकथाम करना आसान है, सिर्फ एक वैक्सीन के जरिए। तो आज जानते हैं, सर्वाइकल कैंसर के बारे में, क्या होता है ये? क्या है इसके लक्षण और क्या है इसका वैक्सीन?

सर्वाइकल कैंसर की मुख्य वजह ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण है। इस संक्रमण के 100 से अधिक प्रकार हैं, जिनमें से कम से कम 14 कैंसर पैदा करने वाले होते हैं।

सर्वाइकल कैंसर की मुख्य वजह

Cervical Cancer

इस कैंसर की शुरुआत को पहचान पाना मुश्किल है, इसलिए इससे बचने के लिए महिलाओं को समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए। इसके साथ ही कुछ संकेतों पर ध्यान दिया जा सकता है, जैसे योनि से रक्तस्त्राव, सामान्य से अधिक मासिक धर्म, सेक्स के बाद योनि से रक्तस्त्राव, संभोग के दौरान दर्द अन्य असामान्य योनि स्त्राव शामिल है। भारत देश में अधिकांश महिलाएं इस सभी लक्षणों को देखकर भी भूला देती हैं, उन्हें ये सब साधारण लगता है। ये गलती ना करें, अपने शरीर में हो रहे हर बदलाव को पहचाने और समय पर जांच करवाएं, जिससे जान जोखिम में ना पड़े।

इस उम्र में होता है ये कैंसर

इसकी शुरुआत महिलाओं में 35 से 40 साल की उम्र के बाद होता है। इसके साथ ही महिलाओं के पीरिड्स अनियमित होने लगते हैं, कई बार ये समस्या इतनी बढ़ जाती है, कि उन्हें ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है, लेकिन अधिकतर महिलाएं इसे सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज कर देती है, इसके बाद ये कैंसर अपनी अंतिम स्टेज पर पहुंच जाता है।

सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचें

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इससे बचने के लिए महिलाओं को नियमित रुप से पैप जांच करवाना चाहिए। इसके साथ ही तंबाकू या सिगरेट जैसे धूम्रपान से दूरी बनाएं रखें क्योंकि इनके सेवन से सर्विक्स कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचता है। इसके साथ ही सर्वाइकल कैंसर कई प्रकार के एचपीवी के कारण होता तो ऐसे में एचपीवी से सुरक्षा के लिए समय पर वैक्सीन जरुर लगवा लेना चाहिए।

टीकाकरण की उम्र क्या है?

इस वैक्सीन के लिए सभी देशों में अलग-अलग उम्र सीमा निर्धारित कि गई है। वैसे 9 से 45 साल की सभी महिलाएं इस वैक्सीन को लगवा सकती है। भारत में अभी 9 से 14 साल के बीच टीकाकरण की आयु सीमा निर्धारित की गई है। जिसके तीन डोज लगाए जाते हैं। इस साल मार्च में कुछ नए टीके की शुरुआत भी जा रही है, जिनका केवल एक डोज काफी रहेगा बचाव के लिए। महिलाएं अपने नजदीकी अस्पताल में वैक्सीन की जानकारी लेकर समय पर खुद और अपनी छोटी बच्चियों को ये वैक्सीन जल्द लगवाएं। इसके किसी प्रकार के कोई साइड इफेक्ट नहीं है,ये पूर्णता सुरक्षित वैक्सीन होता है, और अति आवश्यक भी है।

क्या है पैप जांच

पैप स्मीयर या पैप टेस्ट भी इन दिनों बहुत सुनाई दे रहा है, तो बताते है इसके बारे में। यह गर्भाशय ग्रीवा(सर्विक्स) में कैंसर के शुरुआती लक्षणों की जांच करने का टेस्ट होता है। इस टेस्ट के जरिए आसानी से सही जानकारी प्राप्त हो जाती है। सर्वाइकल कैंसर के अलावा एचपीवी संक्रमण की जांच के लिए भी पैप स्मीटर टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। सही समय पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाने से नतीजों के अनुसार इलाज शुरु किया जा सकता है। साफ तौर पर कहे तो ये टेस्ट गर्भाशय में उन कोशिकाओं को पता लगाता है, जो कैंसर ग्रस्त हैं या आने वाले समय में कैंसर ग्रस्त होने की संभावना है।

आसान और सुरक्षित पैप टेस्ट

पैप को लेकर कई महिलाओं में डर होता है कि जांच के दौरान बहुत दर्द होता है, पर ये सिर्फ भ्रम है, इसमें किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता। स्पेकुलम नामक यंत्र को योनि में डाला जाता है। सर्विक्स नजर आने पर कुछ कोशिकाएं यंत्र की मदद से इकट्ठा की जाती है। जिनकी माइक्रोस्कोप की मदद से जांच की जाती है।समय पर इस कैंसर का इलाज हो तो जान बच सकती है। इसलिए महिलाओं का खुद के लिए और अपनी बच्चियों के सतर्क रहना जरुरी है। बच्चियों को वैक्सीन लगवाएं और खुद समय-समय पर जांच करवाएं।